महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने शिवसेना के कई नेताओं के पार्टी छोड़ने के लिए अपने चचेरे भाई और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के तौर पर वह कोरोना काल के दौरान किसी से भी मिलने को तैयार नहीं थे.
मुंबई के शिवाजी पार्क में अपनी पार्टी की एक रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने शिवसेना से एकनाथ शिंदे और उनका समर्थन करने वाले 39 विधायकों सहित कई नेताओं के अलग होने के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया. बता दें कि शिंदे ने पिछले साल जून में विद्रोह का बिगुल बजा दिया था.
'जावेद अख्तर जैसे लोग चाहिए'
गीतकार जावेद अख्तर को लेकर राज ठाकरे ने कहा था कि उन्हें पाकिस्तान पर हमला करने के लिए ऐसे लोग चाहिए. राज ने कहा कि मैं जावेद अख्तर जैसे लोग अपने साथ चाहता हूं, जो पाकिस्तान जाकर सच बोल सकें. कई लोग पाकिस्तान के खिलाफ बोलते हैं, लेकिन जावेद साहब ने दो टूक कहा है कि वे मुंबई पर हुए हमलों के लिए पाकिस्तान को कभी माफ नहीं करेंगे.
इस दौरान उन्होंने अवैध निर्माण पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की. राज ठाकरे ने एक न्यूज क्लिप दिखाते हुए कहा कि कुछ मुस्लिम अवैध तरीके से प्ले ग्राउंड में मस्जिद का निर्माण कर रहे हैं. ये हाल तब रहा, जब वहां के लोकल इसका विरोध कर रहे हैं. मैं तो उन लोकल लोगों की तारीफ करता हूं कि उन्होंने उस निर्माण को ध्वस्त कर दिया है.
राज ठाकरे ने राज्य सरकार से ये मांग भी की है कि मस्जिद में लगे स्पीकर हटाए जाएं. इस बारे में वे कहते हैं कि मैं मुख्यमंत्री से अपील करता हूं कि मस्जिद में स्पीकर पर बैन लगाया जाए. कम से कम हमें ये आश्वासन तो दिया जाए कि वे स्पीकर हटा लेंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो हम जो भी कदम उठाएं, उन्हें भी नजरअंदाज कर देना चाहिए. हमें स्पीकर बंद करना आता है.
महाराष्ट्र में क्या है ये सियासी ड्रामा?
महाराष्ट्र में पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव सरकार गिर गई थी. शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बीजेपी के समर्थन में सरकार बनाई. इसके बाद से उद्धव ठाकरे गुट के कई नेता शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं. वहीं लंबी उठापटक के बाद शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच तनातनी चल रही थी. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का चुनाव चिन्ह तीर कमान सौंप दिया था. जिसको लेकर मामला कोर्ट में भी पहुंचा.