महाराष्ट्र की छह राज्यसभा सीटों पर शुक्रवार को चुनाव है, जिले लेकर शिवसेना और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है. छह राज्यसभा सीटों पर 7 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसके चलते छठी सीट पर काबिज होने की जंग है. ऐसे में छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों की भूमिका सबसे अहम हो गई है. इसके चलते सभी की निगाहें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के विधायकों पर है कि वो राज्यसभा चुनाव में बीजेपी या शिवसेना किसे जिताकर उच्च सदन भेजेंगे?
राज्यसभा की 6 सीटों पर 7 उम्मीदवार
सूबे की छह राज्यसभा सीटों पर 7 प्रत्याशी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, जिसके चलते छठी सीट को लेकर चुनावी घमासान होना है. बीजेपी से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, अनिल सुखदेवराव बोंडे और धनंजय महादिक मैदान में हैं. शिवसेना से संजय राउत और संजय पवार मैदान में हैं, जबकि एनसीपी से प्रफुल्ल पटेल और कांग्रेस से इमरान प्रतापगढ़ी चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के तीसरे प्रत्याशी सुखदेवराव बोंडे और शिवसेना के दूसरे प्रत्याशी संजय पवार के बीच छठी सीट पर चुनावी मुकाबला है.
महाराष्ट्र का सियासी समीकरण
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा के आंकड़े के लिहाज से राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए करीब 42 विधायकों के वोटों की जरूरत है. बीजेपी के पास 106 विधायक हैं. इस तरह बीजेपी दो राज्यसभा सीटें आसानी से जीत रही है, जिसके बाद उसके पास 22 वोट अतरिक्त बच रहे हैं. ऐसे में तीसरी सीट के लिए 20 विधायकों के समर्थन की जरूरत है.
वहीं, विधानसभा में शिवसेना के 55, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के कुल 44 विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना आसानी से एक-एक राज्यसभा सीट जीत लेंगी, लेकिन शिवसेना को अपने दूसरे कैंडिडेट को जिताने के लिए छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन जुटाना होगा. महाविकास अघाड़ी के पास 27 वोट अतरिक्त बच रहे हैं. शिवसेना को दूसरी सीट जीत के लिए 15 वोटों की और जरूरत है.
राज्यसभा चुनाव में छोटे दल किंगमेकर
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना की नजर अब छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों पर है. महाराष्ट्र में बहुजन विकास अघाड़ी के तीन, AIMIM के दो, पीजेपी के दो, सपा के दो, अन्य दलों के 7 और 13 विधायक निर्दलीय हैं. बीजेपी-शिवसेना दोनों ही इन्हीं विधायकों को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी है. ऐसे में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM विधायकों पर सभी की नजर है.
ओवैसी ने अभी तक नहीं खोले पत्ते
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र के नांदेड़ में अपने नेताओं की एक बैठक की, लेकिन राज्यसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन का समर्थन करने या बीजेपी का समर्थन करने को लेकर वह कोई फैसला नहीं कर सकी. ओवैसी ने कहा कि महाराष्ट्र की राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में समर्थन के लिए शिवसेना और बीजेपी के किसी भी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया है. ओवैसी ने कहा कि AIMIM का समर्थन चाहिए तो उन्हें हमसे संपर्क करना चाहिए. नहीं तो हम एक-दो दिनों के भीतर अपना फैसला ले लेंगे कि किसे समर्थन करना है.
AIMIM विधायक कशमकश में फंसे
राज्यसभा चुनाव में शिवसेना और बीजेपी के बीच शह-मात का खेल जारी है और दोनों ही पार्टियां एक-एक वोट का समर्थन में जुटाने में लगी हैं. निर्दलीय और छोटे दल अपनी-अपनी सुविधा के लिहाज से समर्थन कर रहे हैं, लेकिन AIMIM के दो विधायक कशमकश में फंसे हुए हैं. एक तरफ बीजेपी के सुखदेवराव बोंडे हैं तो दूसरी तरफ शिवसेना के संजय पवार में से किसी एक के पक्ष में खड़ा होना है.
असदुद्दीन ओवैसी ने भले ही राज्यसभा चुनाव में समर्थन को लेकर अपना पत्ता न खोला हो, लेकिन सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि हमारी पार्टी के दो विधायक हैं और उनके क्षेत्र से जुड़े कुछ मुद्दे हैं. ऐसे में हम इन मुद्दों को महाविकास अघाड़ी सरकार के समक्ष रखेंगे. राज्यसभा चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन यदि बीजेपी को हराना चाहता है तो उसे एआईएमआईएम का खुलकर समर्थन मांगना चाहिए.
बीजेपी या शिवसेना किसे जिताएंगे?
हालांकि, महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के दोनों विधायकों के लिए बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है. उद्धव सरकार उन्हें तवज्जो नहीं दे रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी उम्मीदवार है. सूबे में ओवैसी के निशाने पर शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस रहती हैं तो बीजेपी के खिलाफ खुलकर बोलते हैं. ऐसे में राज्यसभा चुनाव में बीजेपी और शिवेसना दोनों को उनके वोटों की जरूरत है तो ओवैसी किसके साथ जाएंगे. बीजेपी के पक्ष में वोट तो भी उन पर सवाल खड़े होंगे और शिवसेना उम्मीदवार को समर्थन करते हैं तब भी. ऐसे में देखना है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के विधायक बीजेपी और शिवसेना में से किसे समर्थन देकर राज्यसभा भेजते हैं?