रेप की घटना से महाराष्ट्र का एक हिस्सा एक बार फिर सुलग रहा है. घटना नासिक जिले के तालेगांव की है जहां एक दलित लड़के ने पांच साल की मराठा लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश की. घटना के विरोध में नासिक-त्र्यंबकेश्वर मार्ग पर करीब 4 घंटों के लिए ट्रैफिक रोका गया. गुस्साई जनता ने पुलिस के कई वाहनों सहित परिवहन निगम की छह बसों को फूंक दिया. लोगों की पत्थरबाजी में एसपी सहित 35 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए हैं. नासिक-मुंबई मार्ग पर भी इस घटना का असर देखने को मिला.
कोपर्डी रेप केस ने पकड़ा था तूल
बीते जुलाई में ही सूबे के अहमदनगर जिले में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी. यहां कोपर्डी गांव में एक नाबालिग की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी. पीड़ित लड़की मराठा समुदाय से थी और आरोपी दलित समुदाय के लोग थे. कोपर्डी दुष्कर्म के दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुए. शुरू में यह विरोध 'साइलेंट' था लेकिन धीरे-धीरे इसने राज्यव्यापी आंदोलन का रूप धारण कर लिया. इस आंदोलन ने मराठा समाज की गोलबंदी का रूप अख्तियार कर लिया.
एट्रोसिटी कानून को लेकर नाराजगी
पिछले दिनों नासिक, पुणे सहित महाराष्ट्र के कई शहरों में मराठा मौन मोर्चा के नाम पर लाखों की भीड़ जुटी. सूबे में एट्रोसिटी कानून रद्द नहीं किए जाने से भी मराठा समुदाय में नाराजगी है. इनका आरोप है कि एट्रोसिटी कानून का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल मराठा लोगों के खिलाफ होता है. यानी सूबे के सबसे बड़े वोट बैंक मराठा समुदाय ने रेप की इन घटनाओं का इस्तेमाल पीड़िताओं को न्याय दिलाने की तुलना में अपनी सियासी ताकत दिखाने के रूप में ज्यादा किया.
सियासत में ब्राह्मणों को बढ़ता वर्चस्व
महाराष्ट्र की आबादी में मराठा समुदाय की हिस्सेदारी 35 फीसदी है. जबकि 90 फीसदी मराठा नौकरी में पीछे हैं, इसलिए यह समाज खुद के लिए आरक्षण की मांग कर रहा है. हालांकि, सूबे की सियासत में मराठाओं का वर्चस्व रहा है. लेकिन, देवेंद्र फडणवीस के सीएम बनने के बाद से सूबे में ब्राह्मण लॉबी सक्रिय हो गई है. यानी राज्य में सत्ता से दूरी अब मराठा समुदाय को रास नहीं आ रही है. ऐसे में रेप की घटनाओं को लेकर सूबे में आए दिन सियासत होती दिखने लगी है.
मराठा आंदोलन के पीछे दो बड़े नाम
सूबे में मराठा आंदोलन के पीछे दो बड़े नाम सामने आए हैं. एक धार्मिक नेता भय्यू महाराज और दूसरे एनसीपी नेता शरद पवार. पवार और भय्यू महाराज दोनों ही मराठा समुदाय से आते हैं. पवार का तो महाराष्ट्र में राजनीतिक वर्चस्व है और उनकी गिनती बड़े मराठा नेताओं में होती है. वहीं, विलासराव देशमुख के शासनकाल में भय्यू महाराज उर्फ उदयसिंह राव देशमुख की राज्य की सत्ता पर अच्छी पकड़ थी. राज्य में भय्यू महाराज के कई ट्रस्ट चल रहे थे, जिनके माध्यम से वे किसानों और अन्य लोगों से सीधे जुड़े थे.
रेप पर सियासत शुरू
बहरहाल, तालेगांव की घटना के बाद नासिक सहित सूबे के तमाम हिस्सों में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं. सीएम ने लोगों से शांति की अपील करते हुए मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराए जाने का भरोसा दिया है. महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री और नासिक के गार्जियन मिनिस्टर गिरीश महाजन भी पीड़िता के घर गए और पखवाड़े भर के भीतर दोषियों के खिलाफ आरोप तय किए जाने का भरोसा दिलाया. सरकार के भरोसे के बावजूद जिले में जारी तनाव में कोई कमी आती नहीं दिख रही है. यानी रेप की ताजा घटना ने सियासतदानों को सियासी रोटियां सेंकने की एक और वजह दे दी है.