भागवत यहां मराठी साहित्य की संस्था विदर्भ साहित्य संघ के शताब्दी कार्यक्रम में बोल रहे थे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक आरएसएस प्रमुख ने कहा, "संघ की विचारधारा के आधार पर एक बात यह है कि एक नेता इस देश के सामने आने वाले सभी चुनौतियों का अकेले सामना नहीं कर सकता. वह अकेले ऐसा भी नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो."
'बदलाव तब होता है जब आम आदमी खड़ा होता है'
उन्होंने कहा, "एक संगठन, एक पार्टी, एक नेता बदलाव नहीं ला सकते. वे ऐसा करने में सिर्फ मदद करते हैं. बदलाव तब होता है जब आम आदमी इसके लिए खड़ा होता है. भारत का स्वतंत्रता संग्राम 1857 में बहुत पहले शुरू हुआ था, लेकिन यह तभी सफल हुआ जब लोग जागरूक हुए और आम आदमी सड़कों पर उतरे."
उन्होंने कहा कि क्रांतिकारियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी की, लेकिन मुख्य बात यह थी कि इससे लोगों को साहस मिला.
'हर कोई जेल नहीं गया'
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हर कोई जेल नहीं गया, कुछ लोग इससे दूर रहे, लेकिन हर किसी में ये भावना जरूर थी कि देश को अब आजाद होना चाहिए."
उन्होंने कहा कि नेता समाज नहीं बनाते हैं, लेकिन समाज नेता बनाता है. आरएसएस चाहता है कि हिंदू समाज अपनी जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हो जाए. सब कुछ समाज में बदलाव से होता है और आरएसएस समाज को संगठित कर रहा है.