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'समर्थ नहीं हुआ इंडिया तो दुनिया को करना पड़ेगा विनाश का सामना', बोले मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 5 फरवरी को गीता भक्ति अमृत महोत्सव में कहा कि पूरे विश्व में उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है. इसके बारे में दुनिया भर के बुद्धिजीवी बोल रहे है और लिख रहे हैं. दुनिया को विनाश से बचाने के लिए भारत को सक्षम बनना होगा.

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RSS प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल फोट)
RSS प्रमुख मोहन भागवत. (फाइल फोट)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने 5 फरवरी को एक कार्यक्रम में कहा भारत को अपनी जिम्मेदारी के लिए उठना होगा. दुनिया को विनाश से बचाने के लिए भारत को सक्षम बनना होगा. यदि किसी भी कारण से भारत खड़ा नहीं हो पाता है तो दुनिया को बहुत जल्द भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. पूरे विश्व में उथल-पुथल भरी स्थिति बनी हुई है. इसके बारे में दुनिया भर के बुद्धिजीवी इस बात को बोल रहे है और लिख रहे हैं.

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संघ प्रमुख ने ये भी कहा कि अयोध्या मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्रतिष्ठा एक साहसी कार्य है जो भगवान के आशीर्वाद और इच्छा के बाद हुआ है.

'दुनिया को विनाश से बचाएगा भारत'

महाराष्ट्र के पुणे जिले के आलंदी में गीता परिवार द्वारा आध्यात्मिक गुरु गोविंद देव गिरी जी महाराज की 75वीं जयंती के मौके पर आयोजित गीता भक्ति अमृत महोत्सव में मोहन भागवत ने कहा, 'दुनिया को विनाश से बचाने के लिए भारत को सक्षम बनना होगा. भारत को अपनी जिम्मेदारी के लिए उठना होगा. यदि किसी भी कारण से भारत खड़ा नहीं हो पाता है तो दुनिया को बहुत जल्द भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. पूरी दुनिया में उथल-पुथल बनी हुई है. इसके बारे में दुनिया भर के बुद्धिजीवी बोल रहे है और लिख रहे हैं'.

लंबे संघर्ष के बाद हुआ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: संघ प्रमुख

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संघ प्रमुख ने अयोध्या में 22 जनवरी को हुए भव्य रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में बोलते हुए कहा कि काफी लंबे संघर्ष के बाद अयोध्या में रामलला का आगमन हुआ है जो कि एक साहसी काम था. इस दशक की पीढ़ी बहुत भाग्यशाली है कि वह रामलला को अपने घर में देख पा रही है. हम सभी को ये भव्य समारोह भगवान के आशीर्वाद और कृपा के बाद देखने को मिला है. रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा उनकी (भगवान की) इच्छा पूरी होने का शुरुआती बिंदु है और अब भारतवर्ष को आगे बढ़ना है, क्योंकि दुनिया को इसकी जरूरत है.

'भारत तोड़ेगा कट्टरता की दीवार'

आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा, 'वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथ के अर्थ को बिना किसी गलती के ठीक से समझने की जरूरत है और इसलिए ऐसे महोत्सवों का आयोजन किया जा रहा है, क्योंकि गलत अर्थ विनाश की ओर ले जाता है. भले ही वक्त बदल गया हो, लेकिन ज्ञान और विज्ञान का मूल वही है. भारत शाश्वत है, क्योंकि इसका मूल शाश्ववत है. भारत को पूरी दुनिया को मृत्यु को बचाना है. अखंड भारत अविश्वास और कट्टरता की दीवारों को तोड़ देगा और एकजुटता मानवता का निर्माण करेगा'.

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