मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की मांग के बीच, वरिष्ठ आरएसएस नेता सुरेश 'भैयाजी' जोशी ने सोमवार को कहा कि इस विषय को अनावश्यक रूप से उठाया जा रहा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा, 'जिनकी श्रद्धा है वो उस कब्र पर जाएंगे.'
'अनावश्यक उठाया गया विषय'
उन्होंने कहा, 'औरंगजेब की कब्र का विषय अनावश्यक उठाया गया है. उसकी मृत्यु यहां हुई तो उसकी कब्र यहां बनी हुई है. जिनकी श्रद्धा है वो जाएंगे.' दरअसल महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने रविवार को औरंगजेब की कब्र को लेकर सांप्रदायिक तनाव भड़काने के प्रयासों की निंदा की और कहा कि 'इतिहास को जाति और धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए.'
यह भी पढ़ें: 'व्हाट्सएप पर नहीं पढ़ें इतिहास', औरंगजेब की कब्र पर विवाद के बीच बोले राज ठाकरे
'जिनकी आस्था है, वो जाएंगे'
उन्होंने कहा, 'बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को प्रतापगढ़ किले के पास दफनाया गया था और छत्रपति शिवाजी महाराज की अनुमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था.' राज ठाकरे की टिप्पणियों और मुगल शासक की कब्र के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा, 'औरंगजेब की कब्र का विषय अनावश्यक रूप से उठाया गया है. उसकी मृत्यु यहीं (भारत में) हुई थी, इसलिए उसकी कब्र यहीं बनाई गई है. जिनकी आस्था है, वे जाएंगे.'
'यह भारत की उदारता का प्रतीक'
पूर्व आरएसएस महासचिव ने कहा, 'हमारे पास छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श (रोल मॉडल) है. उन्होंने अफजल खान की कब्र बनवाई थी. यह भारत की उदारता और समावेशिता का प्रतीक है. कब्र बनी रहेगी, जो भी जाना चाहेगा, जाएगा.'
यह भी पढ़ें: औरंगजेब समर्थक और राणा सांगा विरोधी के साथ खड़े होकर क्यों फंस गए हैं अखिलेश यादव?
'हमें पानी और पेड़ों की नहीं, कब्र की चिंता है'
मुंबई के शिवाजी पार्क में वार्षिक गुड़ी पड़वा रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने भ्रामक ऐतिहासिक नैरेटिव और व्हाट्सएप संदेशों के प्रति आगाह किया और इस बात पर जोर दिया कि इतिहास का अध्ययन सोशल मीडिया के बजाय विश्वसनीय स्रोतों से किया जाना चाहिए. राज ठाकरे ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में औरंगजेब की कब्र पर विवाद पैदा करने के राजनीतिक प्रयासों की आलोचना की. इस कारण नागपुर में हिंसा हुई.
राज ठाकरे ने ऐसी बहसों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, 'हमें पानी के स्रोतों और पेड़ों की चिंता नहीं है, लेकिन हमें औरंगजेब की कब्र की चिंता है?' उन्होंने विभाजनकारी राजनीति का शिकार होने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, 'लोगों को इतिहास के नाम पर लड़ाया जा रहा है और राजनेता संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए इन मुद्दों का फायदा उठाते हैं.'
'औरंगजेब शिवाजी नामक एक विचार को मारना चाहता था'
ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया कि मुगल शासक औरंगजेब ने मराठों से लड़ते हुए महाराष्ट्र में 27 साल बिताए, छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को कुचलने की कोशिश की लेकिन आखिरकार असफल रहा.
उन्होंने कहा, 'औरंगजेब शिवाजी नामक एक विचार को मारना चाहता था.' राज ठाकरे ने कहा कि शिवाजी महाराज के निधन के बावजूद, औरंगजेब उनकी विचारधारा को मिटाने के असफल प्रयास में महाराष्ट्र में रहा. उन्होंने दर्शकों को याद दिलाया कि शिवाजी के बेटे संभाजी महाराज ने आगरा से भागने पर औरंगजेब के बेटे को शरण भी दी थी.