scorecardresearch
 

'सामना' के संपादक ने 'मुस्लिम विरोधी' टिप्पणी पर लिया यूटर्न

भारत में मुस्लिमों से मताधिकार वापस लेने की मांग कर आलोचकों के निशाने पर आए शिवसेना सांसद और मुखपत्र 'सामना' के संपादक संजय राउत ने यू-टर्न ले लिया है.

Advertisement
X
'सामना' के संपाद और शि‍वसेना नेता संजय राउत
'सामना' के संपाद और शि‍वसेना नेता संजय राउत

भारत में मुस्लिमों से मताधिकार वापस लेने की मांग कर आलोचकों के निशाने पर आए शिवसेना सांसद और मुखपत्र 'सामना' के संपादक संजय राउत ने यू-टर्न ले लिया है. राउत ने अब कहा है कि मीडिया ने उनकी टिप्पणियों का 'गलत मतलब निकाला' है. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय का वोट डालने का अधिकार छीनना असंवैधानिक है.

Advertisement

राउत ने मंगलवार को औरंगाबाद में संवाददाताओं से कहा, 'मैंने यह नहीं लिखा कि मुस्लिमों से मताधिकार वापस ले लेना चाहिए. मैंने सिर्फ इतना कहा कि अगर उन्हें वोट देने की अनुमति नहीं दी जाए तो मुस्लिमों का प्रयोग राजनीतिक अवसरवादिता के लिए नहीं किया जाएगा.' उन्होंने आगे कहा, 'मैंने नहीं कहा कि मुस्लिमों को उनके मताधिकार से वंचित कर देना चाहिए. मीडिया को दिन के लिए कुछ खबर चाहिए थी और उन्होंने मेरे बयान का गलत मतलब निकाला.'

गौरतलब है‍ कि इससे पहले रविवार को लेख छपने और उस पर विवाद गहराने के बाद शिवसेना की विधान परिषद सदस्य और प्रवक्ता नीलम गोरे ने भी लेख पर नरम रुख अख्ति‍यार कर लिया था. गोरे ने तब कहा, 'लेख में यह कहने का प्रयास किया गया है कि जीवन के हर क्षेत्र में विकास के लिए जरूरी है कि कुछ नेता तुष्टीकरण की राजनीति को छोड़ें क्योंकि यह मुस्लिमों के हित में नहीं है. ये लोग समुदाय की वास्तव में मदद किए बिना उन्हें केवल गुमराह कर रहे हैं.'

Advertisement

क्या लिखा था लेख में
राउत ने ‘सामना’ के रविवार के अंक में एक लेख लिखकर सियासी तूफान मचा दिया था. इसमें उन्होंने राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिमों का वोटबैंक के रूप में उपयोग बंद करने के लिए मुस्लिमों का मताधिकार खत्म करने की मांग की थी.

राउत ने संपादकीय लेख में कहा था, 'मुस्लिमों के साथ हुए अन्याय से लड़ने के नाम पर वोटबैंक की राजनीति की जा रही है. उनकी शैक्षिक और स्वास्थ्य स्थिति का उपयोग राजनीति के लिए किया जा रहा है. यह राजनीति पहले कांग्रेस ने की, लेकिन अब हर दूसरा व्यक्ति खुद को धर्मनिरपेक्ष बताता है.'

उन्होंने कहा था, 'अगर मुस्लिमों का प्रयोग केवल इस तरह की राजनीति के लिए किया जा रहा है तो उनका कभी विकास नहीं हो सकता. मुस्लिमों का प्रयोग जब तक वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जाएगा तब तक मुस्लिमों का कोई भविष्य नहीं होगा और इसलिए बालासाहेब (शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे) ने एकबार कहा था कि मुस्लिमों से मताधिकार वापस ले लो. जो उन्होंने कहा था वह सही है.'

-इनपुट भाषा से

Advertisement
Advertisement