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'गुजरात का विकास और सारा देश कंगाल', शिवसेना ने केंद्र सरकार पर बोला हमला

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में संपादकीय के जरिए केंद्र सरकार पर हमला बोला है. शिवसेना ने सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार को भी घेरा है. शिवसेना ने मराठी अस्मिता को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर वार किए हैं.

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उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में अपनी ही पार्टी में टूट के बाद शिवसेना को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बागियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हाथ मिलाकर सरकार बना ली. पार्टी में बगावत के बाद से ही शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के जरिए शिंदे गुट और एनडीए सरकार पर हमलावर है. शिवसेना ने एक बार फिर सामना के जरिए महाराष्ट्र सरकार पर हमला बोला है.

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शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र से बाहर जाते उद्योग को लेकर सरकार को घेरा है. संपादकीय के जरिए शिवसेना ने कहा है कि वेदांता- फॉक्सकॉन जैसी महत्वपूर्ण परियोजना महाराष्ट्र में स्थापित होनेवाली थी जिसमें लगभग डेढ़ लाख करोड़ का निवेश होना था. इस परियोजना से एक लाख लोगों को रोजगार मिलने की गारंटी थी. केंद्र सरकार ये परियोजना गुजरात खींच ले गई. इससे महाराष्ट्र उबर ही रहा था कि 22 हजार करोड़ रुपये की टाटा एयरबस परियोजना का भी अपहरण कर गुजरात ले जाया गया.

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि महाराष्ट्र पर एक के बाद एक ऐसे आघात जारी हैं. महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस की सरकार आने के बाद से चार बड़ी औद्योगिक परियोजनाएं गुजरात चली गईं. ये परियोजनाएं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश या बिहार नहीं गईं. ये पिछड़े राज्यों छत्तीसगढ़ या झारखंड भी नहीं गईं. इन परियोजनाओं को तय करके मोदी-शाह के गुजरात ले जाया जा रहा है और इस किडनैपिंग पर सूबे के मुख्यमंत्री मुंह में मिश्री डालकर बैठे हैं. वहीं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस झूठी जानकारी देकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं. चाहे वो फॉक्सकॉन परियोजना हो या फिर रांजणगांव में स्थापित होनेवाली इलेक्ट्रिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर. यही बात बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल उपकरण उत्पादन परियोजना के मामले में भी है.

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सामना के संपादकीय में ये भी कहा गया है कि अब वे कहते हैं कि इन परियोजनाओं के लिए महाविकास आघाड़ी की सरकार ने केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव ही नहीं भेजा. वास्तविकता यह है कि इन परियोजनाओं के लिए आघाड़ी सरकार ने 2021 में ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया था. फिर भी उपमुख्यमंत्री बेझिझक झूठ बोल रहे हैं. ये सब खुद की विफलता ढंकने का उपक्रम है. महाराष्ट्र में आनेवाली बड़ी परियोजनाओं को खींचकर ले जाया जा रहा है और शिंदे-फडणवीस की सरकार उसी तरह मूक बैठी है जिस तरह भरी सभा में द्रौपदी के चीरहरण के समय प्रमुख लोग सिर झुकाए बैठे थे. रावण ने जिस तरह से सीता का हरण किया, उसी तरह से महाराष्ट्र के उद्योग-रोजगार के अवसरों का अपहरण गुजरात में किया जा रहा है.

मराठी अस्मिता खत्म करने के लिए बनी शिंदे सरकार

शिवसेना ने अपने मुखपत्र में इसे लेकर तंज करते हुए कहा है कि इस अपहरण को खुली आंखों से देखनेवाले मुख्यमंत्री अपने मिंधे गुट के साथ कहा जा रहा है कि राम दर्शन के लिए अयोध्या नगरी को निकले हैं. इसे मजाक ही कहना होगा. महाराष्ट्र को कंगाल बनाने के लिए और राज्य के स्वाभिमान, अस्मिता को खत्म करने के लिए महाराष्ट्र में शिंदे सरकार स्थापित हुई, यह अब पक्का हो गया है. टाटा ने आज तक अपनी सभी परियोजनाओं के लिए महाराष्ट्र को प्राथमिकता दी है. वेदांता-फॉक्सकॉन ने तो अपनी परियोजना के लिए जोर-शोर से तैयारियां भी की थीं लेकिन बाल से गला कटने जैसा ही हाल हुआ है. महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री क्या कर रहे हैं? वे नाकामियां छुपाने के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार पर ठीकरा फोड़कर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ रहे हैं.

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दिल्ली पहुंचकर छाती पीटें, गुजरात जा करें तांडव

सामना के संपादकीय में कहा गया है कि आपके शिंदे मुख्यमंत्री ने हिंदुत्व, स्वाभिमान, महाराष्ट्र का हित जैसे शब्दों का बुलबुला फोड़कर एक सरकार बनाई न? फिर अपनी विफलता का ठीकरा दूसरों पर क्यों फोड़ रहे हो? फिर क्या इन परियोजनाओं को लेकर ‘श्वेत पत्र’ जारी करेंगे, इन्होंने इसका भी ऐलान किया. इस तरह का पत्र निकालने की बजाय महाराष्ट्र से परियोजनाओं के अपहरण को लेकर दिल्ली पहुंचकर छाती पीटें. आपके चालीस खोखेबाज विधायकों का महाराष्ट्र स्वाभिमान कितना प्रखर है, यह दिखाने के लिए गुजरात में जाकर तांडव करो नहीं तो शिवराय का नाम लेने की नादानी मत करो. महाराष्ट्र के हाथ से जो उद्योग जा रहे हैं, उसके पेच छुड़ाना बेहद महत्वपूर्ण है. लाखों रोजगार छीनकर ले जानेवाले मोदी-शाह से डटकर जवाब मांगने की हिम्मत दिखाओ.

गुजरात को मालामाल करने की शर्त पर सीएम बने शिंदे

सामना के जरिए शिवसेना ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि गुजरात के कंधे पर बंदूक रखकर महाराष्ट्र पर हमले किए जा रहे हैं, महाराष्ट्र के पेट पर लात मारी जा रही है. महाराष्ट्र को लूटकर गुजरात को मालामाल करने की जुबान पर ही दिल्ली वालों ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है. आज जो भी नया घटित हो रहा है, वह सब केवल गुजरात में ही ले जाने का प्रयास राष्ट्रीय एकता और विकास के संतुलन को बाधित करनेवाला है. रक्षा मंत्रालय की परियोजना हो या अन्य उद्योग, हर निवेश अपने गृहराज्य में ले जाने की मोदी-शाह की जिद ‘राष्ट्रीय’ स्वाभिमान को चोट पहुंचानेवाली है. विश्व का कोई भी मेहमान आए तो उन्हें दिल्ली से पहले गुजरात में ले जाकर झूले पर झुलाना, जैसे गुजरात ही देश है और बाकी सब कचरा. यह नीति एक-दूसरे राज्यों के बीच खाई का निर्माण करनेवाली है.

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'गुजरात का विकास, सारा देश कंगाल' नया नारा

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि उन्हें मु्ंबई का महत्व कम करना है लेकिन अब उनकी नजर महाराष्ट्र पर भी है. महाराष्ट्र अपने पैर, अपनी हिम्मत पर खड़ा है और खड़ा रहेगा लेकिन अन्य पिछड़े राज्यों के विकास को गति नहीं दिया जाना पीएम मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे का खोखलापन सामने ला रहा है. गुजरात का विकास और सारा देश कंगाल, ये नया नारा अब देना होगा. रुपये का 80 पैसा गुजरात को और 20 पैसा सारे देश को, ये गणित तय हुआ है तो क्यों न गुजरात को सोने से ही मढ़ देते?

गुजरात से आगे नहीं जाती दिल्लीश्वरों की उड़ान

वह भी कर दो क्योंकि आज भी गुजरात के आगे वर्तमान दिल्लीश्वरों की उड़ान नहीं जाती. पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, नरसिंह राव, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह जैसे नेताओं की दूरदृष्टि का महत्व ऐसे विकट समय में सही साबित हो रही है. एक विशाल दृष्टिकोण के साथ इन नेताओं ने विचार किया इसलिए ये देश बना और टिका. इस देश को आज सेंध लग रही है. महाराष्ट्र पर घाव राष्ट्र का घाव है. महाराष्ट्र की इज्जत का अपहरण राष्ट्रीय अस्मिता का चीरहरण है लेकिन हमारे शिंदे मुख्यमंत्री निर्विकार भाव से कहते हैं, ‘बीजेपी के साथ आने पर आज मैं संतुष्ट हूं.’ अच्छा है. महाराष्ट्र मर गया तो राष्ट्र मर गया, सेनापति बापट ऐसा क्यों कह गए, वह अब स्पष्ट हो गया है. मिंधों से महाराष्ट्र को बचाओ.

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