महाराष्ट्र से सत्ता जाने के बाद से ही उद्धव ठाकरे गुट को कई बड़े झटके लग रहे हैं. सत्ता जाने के बाद ठाकरे से सिंबल और पार्टी भी चली गई. इसके बाद अब ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि आज महाराष्ट्र विधानसभा में उनके खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव लाए जाने के बाद विशेषाधिकार समिति का गठन किया गया है.
राउत ने आज मीडिया से बात करते हुए विधानसभा को 'चोरों की सभा' के रूप में संबोधित किया. उनके बयान पर सत्ताधारी पार्टी के विधायकों के हंगामे के बाद विधानसभा के दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. यहां तक कि विपक्ष के नेता अजित पवार और कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने भी राउत के बयान पर आपत्ति जताई थी.
हर पार्टी के नेता दे चुके हैं आपत्तिजनक बयान
हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि विधानसभा के लिए इस्तेमाल होने वाले दिशा-निर्देशों को बनाने के लिए एक आचार समिति का गठन किया जाना चाहिए. यहां तक कि हर पार्टी के कई नेता पहले भी आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं.
15 सदस्यीय समिति का हुआ गठन
15 सदस्यीय विशेषाधिकार समिति में भाजपा, शिवसेना (एकनाथ शिंदे), राकांपा, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के सदस्य हैं. इसमें भाजपा से राहुल कुल, अतुल भातखलकर, योगेश सागर, अमित साटम, नितेश राणे, अभिमन्यु पवार, शिवसेना से संजय शिरसात, सदा सरवनकर, एनसीपी से दिलीप मोहिते पाटिल, माणिकराव कोकाटे, सुनील भुसारा, कांग्रेस से नितिन राउत, सुनील केदार शामिल हैं. इनके अलावा निर्दलीय विधायक विनय कोरे और आशीष जायसवाल भी इस समिति का हिस्सा हैं.
ठाकरे गुट का कोई सदस्य नहीं
दिलचस्प बात यह है कि विशेषाधिकार समिति में शामिल उद्धव ठाकरे के खेमे से कोई सदस्य नहीं है. यह कमेटी संजय राउत द्वारा विधानसभा के खिलाफ दिए गए कथित अपमानजनक बयान की जांच करेगी. विधानसभा अध्यक्ष ने ऐलान किया है कि कमेटी अगले बुधवार 8 मार्च तक अपनी शुरुआती रिपोर्ट देगी.
यह समिति स्पीकर को सुझाव देगी कि संजय राउत के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी. सूत्रों ने कहा कि इस बीच संजय राउत को 10 मार्च को समिति द्वारा तलब किए जाने की संभावना है.