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औरंगाबाद का नाम बदलने का विरोध क्यों? संजय राउत ने साधा ओवैसी पर निशाना

महाराष्ट्र में औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर संभाजी नगर रखने की राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना के एक कॉलम में औरंगाबाद का नाम बदलने की वकालत की है.

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संजय राउत का ओवैसी पर कटाक्ष
संजय राउत का ओवैसी पर कटाक्ष
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सामना के कॉलम से फिर उठा विवाद
  • नाम बदलने की राजनीति है जारी
  • 'औरंगजेब राज्य के धर्म और अभिमान का प्रतीक नहीं रहा है'

शिवसेना सांसद संजय राउत ने एआईएमआईएम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष है और इसलिए बाबर, औरंगजेब, शाइस्ता खान, ओवैसी आदि को धर्मनिरपेक्ष कैसे कहा जा सकता है?  माना जा रहा है कि स्थानीय निकाय चुनावों में शिवसेना मुख्य निर्णायक भूमिका में रहेगी. औरंगाबाद के सांसद एमआईएमआईएम पार्टी से हैं, इसलिए सांसद संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखे अपने कॉलम में ओवैसी पर कटाक्ष किया है.

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सांसद संजय राउत ने कॉलम में लिखा है कि हिंदुस्तान का संविधान सेक्युलर है ही, इसलिए बाबर, औरंगजेब, शाइस्ता खान, ओवैसी आदि लोगों को सेक्युलर कैसे माना जाए? औरंगजेब को तो दूसरे धर्मों से नफरत थी. उसने सिखों को, हिंदुओं को प्रताड़ित ही किया, फिर उनकी निशानी पर हम जतन क्यों करें?

 उन्होंने लिखा है कि औरंगजेब कौन था? कम से कम महाराष्ट्र को तो समझाने, बताने की आवश्यकता नहीं है. औरंगजेब के दरबार में छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वाभिमान की तलवार चमकी. आगरा से रिहाई, यह वीरगाथा इसके बाद ही रची गई. महाराष्ट्र ने औरंगजेब से बड़ी लड़ाई लड़ी. उस लड़ाई का नेतृत्व पहले छत्रपति शिवाजी ने एवं बाद में छत्रपति संभाजी ने किया. इसलिए सच्चे मराठी व कट्टर हिंदू व्यक्ति को औरंगजेब के प्रति मोह होने की कोई वजह नहीं है.

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संजय राउत ने लिखा है कि  मराठवाड़ा के सरकारी दस्तावेजों में औरंगाबाद नाम वाले शहर का नामकरण संभाजीनगर किया जाए. इस पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस जैसे 'सेक्युलर' दल औरंगाबाद का संभाजीनगर न हो, ऐसे विचार वाले हैं. औरंगाबाद का नामांतरण करने से मुस्लिम समाज अर्थात अल्पसंख्यक नाराज हो जाएंगे और वोट बैंक पर असर होगा.

मतलब खुद की सेक्युलर छवि पर सवालिया निशान लग जाएंगे. औरंगाबाद का नामकरण करने से लोगों के विकास की समस्या हल होगी क्या? ऐसा मुद्दा नाम बदलने का विरोध करने वाले खड़ा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसे लोगों का एक बड़ा वर्ग है जो नाम बदलने के पक्ष में हैं.

बता दें महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार है, जिसमें शिवसेना के साथ कांग्रेस और राकांपा शामिल है. यहां सरकार ने नवंबर 2020 में एक वर्ष पूरा कर लिया है. कांग्रेस चाहती है कि शिव सेना तीनों दलों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का पालन करे. कांग्रेस नेताओं के पूर्व में इस मामले में बयान भी आ चुके हैं, जिसमें कहा गया है कि औरंगाबाद का नाम बदलना शिवसेना के पर्सनल एजेंडा का मुद्दा है. 

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