scorecardresearch
 

शिवसेना की दो टूक- सावरकर महान थे, हैं और रहेंगे, महाराष्ट्र में नहीं आएगी किताब

भारतीय जनता पार्टी, विनायक सावरकर के परपोते ने इस पर सवाल उठाए और निशाना साधा. अब शिवेसना सांसद संजय राउत ने कहा है कि वीर सावरकर एक महान व्यक्ति थे और एक महान व्यक्ति बने रहेंगे. एक वर्ग उनके खिलाफ बात करता रहता है, यह उनके दिमाग में गंदगी को दिखाता है.

Advertisement
X
सावरकर पर सवाल उठाने वालों को शिवसेना का जवाब
सावरकर पर सवाल उठाने वालों को शिवसेना का जवाब

Advertisement

  • सावरकर के मुद्दे पर शिवसेना हमलावर
  • संजय राउत बोले- सावरकर महान थे और रहेंगे
  • महाराष्ट्र में नहीं आएगी सेवादल की किताब

कांग्रेस सेवादल के द्वारा विनायक सावरकर पर टिप्पणी करने वाली छापी गई किताब पर विवाद बढ़ गया है. भारतीय जनता पार्टी, विनायक सावरकर के परपोते ने इस पर सवाल उठाए और निशाना साधा. अब शिवेसना सांसद संजय राउत ने कहा है कि वीर सावरकर एक महान व्यक्ति थे और एक महान व्यक्ति बने रहेंगे. एक वर्ग उनके खिलाफ बात करता रहता है, यह उनके दिमाग में गंदगी को दिखाता है.

विनायक सावरकर पर टिप्पणी करने वालों पर करारा हमला करते हुए संजय राउत ने कहा, ‘जो लोग सावरकर जी के बारे में ऐसा बोल रहे हैं उनके दिमाग की जांच की जानी चाहिए. फिर चाहे वो महाराष्ट्र हो या देश का कोई हिस्सा हर कोई सावरकर जी पर गर्व करता है. जो लोग इस तरह की बातें करते हैं, उनका दिमाग गंदगी से भरा है’

Advertisement

संजय राउत बोले कि शिवसेना का स्टैंड पूरी तरह से साफ है वीर सावरकर महान थे, हैं और रहेंगे. उन्होंने कहा कि जो भी किताब छपी है वो मध्य प्रदेश की गंदगी है, ये कभी भी महाराष्ट्र में नहीं आएगी. ये गैर-कानूनी है, हमें कोई सावरकर के बारे में ना सिखाए तो ठीक है.

किताब के कंटेंट पर था बवाल

बता दें कि मध्य प्रदेश के भोपाल में कांग्रेस सेवादल ने विनायक सावरकर को लेकर एक किताब छापी है, जिसमें कुछ ऐसी टिप्पणियां की गई हैं जिनपर बवाल हो गया है. इस किताब में दावा किया गया है कि विनायक सावरकर और नाथूराम गोडसे में समलैंगिक संबंध थे. तभी से इसपर विवाद हो रहा है.

शुक्रवार को ही बीजेपी नेता आशीष शेल्लार ने ट्वीट कर अपील की थी कि उद्धव ठाकरे को इस किताब की निंदा करनी चाहिए और ऐलान करना चाहिए कि महाराष्ट्र में ये किताब नहीं आएगी. बीजेपी नेता के अलावा विनायक सावरकर के परपोते रंजीत सावरकर ने भी इस किताब की निंदा की थी.

Advertisement
Advertisement