औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर करने के फैसले को चुनौती देने का मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह मुद्दा सरकार के लोकतांत्रिक और कार्यपालक अधिकार के दायरे में है, लिहाजा हम इसमें दखल नहीं देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हम शहरों, सड़कों आदि का नाम चुनने वाले कौन होते हैं? यह निर्वाचित कार्यपालिका और कार्यकारणी की शक्ति है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संबंधित मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में लंबित है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कर दखल देने का कोई औचित्य नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी लौटाई थी एक याचिका
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने की मांग वाली एक अन्य याचिका को सुप्रीम कोर्ट वापस कर चुका है. क्योंकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही इस पर संज्ञान लिया था. सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने बुधवार को पीठ को सूचित किया कि मामले पर सुनवाई हाईकोर्ट ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी है. केंद्र की अनुमति के बाद राज्य सरकार ने फरवरी में आधिकारिक तौर पर औरंगाबाद - शहर, तालुका और जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने की अधिसूचना जारी की थी. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना सरकार ने भी महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता, 1966 के तहत एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें औरंगाबाद के राजस्व विभागों का नाम बदलकर संभाजीनगर करने वाली एक मसौदा अधिसूचना पर आपत्तियां मांगी गई हैं.
फरवरी में बदला गया था नाम
बता दें कि फरवरी 2023 में केंद्र ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहर का नाम बदल दिया था. औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव किया गया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति दी थी. इन नामों को बदलने के लिए 16 जुलाई 2022 को कैबिनेट ने प्रस्ताव पारित किया गया था और इन्हें केंद्र सरकार को फॉरवर्ड कर दिया था. डिप्टी सीएम फडणवीस ने महाराष्ट्र सरकार की मांग को स्वीकार करने के लिए पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया था और एक ट्वीट में इस बात पर भी जोर दिया था कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में राज्य सरकार ने आखिरकार यह कर दिखाया.
हाईकोर्ट में दायर की गई थी याचिका
नाम बदले जाने के बाद इसके विरोध में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने नाम परिवर्तन के खिलाफ सुनवाई के लिए याचिका को स्वीकार कर लिया था. हाई कोर्ट सभी याचिकाओं पर 27 मार्च को सुनवाई करने की तारीख दी थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अपनी पिटीशन में संशोधन करने की अनुमति देने की मांग को भी ठुकरा दिया था.