महाराष्ट्र में शिवसेना के असली दावेदार की कानूनी लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर तक सुनवाई टाल दी है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिंदे गुट की तरफ से नीरज किशन कौल ने कहा कि बीएमसी के चुनाव हैं और सिंबल का मसला चुनाव आयोग के सामने है. ऐसे में आयोग कि कार्यवाही पर रोक हटायी जाए. उन्होंने अपील की कि कोर्ट चुनाव आयोग को सिंबल मामले पर कार्यवाही आगे बढ़ाने का निर्देश दे और अपने पिछले आदेश को वापस ले.
इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि हम 27 सितंबर को इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करना चाहते हैं. आज हम अर्जी को संक्षेप में सुन सकते हैं. आपको इस पर 10 मिनट से अधिक समय नहीं लेना चाहिए और फिर हम तय कर सकते हैं कि क्या चुनाव आयोग को निर्देशित किया जा सकता है?
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ अब इस मामले में 27 सितंबर को सुनवाई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग समेत सभी पक्षों को इस मामले में लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा है.
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह सवाल है कि जब पार्टी में बंटवारा होता है तो चुनाव आयोग की शक्ति क्या होती है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सवाल यह है कि इस मामले में चुनाव आयोग का दायरा तय किया जाएगा. लेकिन एक सवाल है कि क्या चुनाव आयोग को आगे बढ़ना चाहिए या नहीं, तो ऐसे में हम अर्जी पर विचार कर सकते है
सिब्बल ने कहा कि 10वीं अनुसूची के मद्देनजर पार्टी में किसी गुट में फूट का फैसला आयोग कैसे कर सकता है, यह एक सवाल है. वे आयोग के पास किस आधार पर गए हैं? अब शिवसेना के चुनाव चिन्ह मामले पर सुप्रीम कोर्ट 27 सितम्बर को सुनवाई करेगा. कोर्ट को तय करना है कि जब तक विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट फैसला नहीं कर लेता, चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह पर फैसला कर सकता है या नहीं.