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शिवसेना ने जैन संतों को दी नसीहत, अपने क्रोध पर काबू रखें

शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि हम जैन या किसी भी दूसरे धर्म के पर्व के खिलाफ नहीं हैं. साथ ही नसीहत भी दी है कि जैन समुदाय के संत अपने क्रोध पर काबू रखें. 

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जैन समुदाय के धार्मिक उत्सव पर्यूषण पर्व को लेकर शिव सेना ने अपना रुख साफ किया है. पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि हम जैन या किसी भी दूसरे धर्म के पर्व के खिलाफ नहीं हैं. साथ ही नसीहत भी दी है कि जैन समुदाय के संत अपने क्रोध पर काबू रखें. क्योंकि संताप, क्रोध और अनशन भी एक प्रकार की हिंसा ही है.

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शिवसेना ने सामना में लिखा है कि पार्टी ने जैन समुदाय से देश छोड़ने की बात नहीं कही है. लेकिन उन्हें भी दूसरों की धार्मिक भावनाओं का खयाल रखना चाहिए. मामला मुंबई में मांस पर प्रतिबंध लगाने का था. शिव सेना ने कहा था मुंबई में मांस बिक्री पर रोक नहीं लगने देंगे.

रोम-रोम में भरी है अहिंसा
शिवसेना ने लिखा है कि भारत के लोगों के रोम-रोम में अहिंसा का सिद्धांत भरा है. पाकिस्तानी कितनी भी हिंसा करें, फिर भी हम पहली गोली नहीं चलाएंगे, यह भी अहिंसा है. कितने भी जवान शहीद हो जाएं, पर हिंदुस्तानी पहली गोली नहीं दागेगा. ऐसा किया तो वह हिंसा कहलाएगी.

कौन क्या खाए, धर्म का विषय नहीं
सामना में पार्टी ने लिखा है, बुनियादी बात यह है कि कौन क्या खाए इसका धर्म से कोई लेना देना नहीं है. बल्कि यह आहार शास्त्र का विषय है, धर्म का नहीं. मांस बंदी के विवाद पर शिवसेना ने अपनी ओर से पर्दा डाल दिया है. जैन बंधु हमारे शत्रु नहीं हैं.

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