महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से खींचतान के बीच शिवसेना ने आर्थिक मंदी के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा है.शिवसेना ने कहा कि आर्थिक मंदी की वजह से इस बार दिवाली पूरी तरह से फीकी रही. शिवसेना ने अपने संपादकीय में लिखा कि किस तरह आर्थिक मंदी किसानों और लोगों को प्रभावित कर रही है. मॉनसून खत्म होने के बाद भी कई जगहों पर भारी बारिश हो रही है और इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
बिना नाम लिए मोदी सरकार पर निशाना
हालांकि शिवसेना ने अपने संपादकीय में किसी का नाम लिए बगैर ही मंदी के नुकसानों की चर्चा की है. शिवसेना ने कहा, 'आज देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. बाजार में कोई उत्साह नहीं है. मंदी के चलते कारोबार में 30-40 फीसदी की गिरावट आई है.' लेकिन अगले ही पैरा में पार्टी ने जीएसटी और नोटबंदी को आर्थिक मंदी वजह बताई है.
नोटबंदी-जीएसटी से संकट बढ़ा
शिवसेना ने लिखा, 'नोटबंदी और जीएसटी की वजह से संकट ज्यादा बड़ा हो गया है. नोटबंदी और जीएसटी की वजह से समस्याएं और बढ़ती जा रही हैं. इन्हें लागू करते हुए यह कहा गया था कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, लेकिन अब इन कदमों के चलते हमारी अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. फैक्ट्री और उद्योग बंद हो रहे हैं. रोजगार नहीं है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं.'
शिवसेना ने कहा कि बैंक दिवालिया हो रहे हैं. सरकार की तिजोरी की तरह ही लोगों की जेब खाली है. रिजर्व बैंक का रिजर्व धन निकाला जा रहा है. भारतीय बाजार में सन्नाटा है. ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए देश का पैसा बाहर जा रहा है. दिवाली पर इतना सन्नाटा क्यों?
सरकार बनाने में शिवसेना के साथ फंसा पेच
असल में, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना के साथ पेच फंसने पर बीजेपी ने अब जरा देरी से, 30 अक्टूबर को विधानमंडल दल की बैठक बुलाई है. माना जा रहा था कि अगर नतीजों के तुरंत बाद सरकार में पदों को लेकर शिवसेना से बातचीत सहमति तक पहुंच जाती तो हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी शनिवार को ही विधायक दल की बैठक कर रविवार तक शपथ ग्रहण समारोह हो जाता.
मगर बीजेपी और शिवसेना के बीच 'ढाई साल-ढाई साल मुख्यमंत्री' के फॉर्मूले पर सहमति न बन पाने के कारण बीजेपी को चुनाव के नतीजे आने के छह दिन बाद विधायक दल की बैठक बुलाने को मजबूर होना पड़ा है.