मध्य प्रदेश में दोहरे रेल हादसे के बाद सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने रेलवे व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. पार्टी ने अपने मुखपत्र 'सामना' में रेलवे के तंत्र को 'खैरात तंत्र' बताया है.
'सामना' में परोक्ष रूप से बुलेट ट्रेन की योजना पर भी व्यंग्य किया गया है. अखबार ने लिखा है, 'रेलवे में खैरात तंत्र की परंपरा के चलते रेल दुर्घटनाएं होती हैं. एक तरफ देश में बुलेट ट्रेन की कवायद चल रही है, दूसरी तरफ एक सिग्नल ठीक करने में महीनों लग जाते हैं.'
शिवसेना से बीजेपी में आए हैं रेल मंत्री
शिवसेना की यह आलोचना राजनीतिक तौर पर इसलिए भी अहम है क्योंकि मौजूदा रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपना पूरा राजनीतिक करियर शिवसेना में बिताया था, लेकिन चूंकि प्रधानमंत्री मोदी उन्हें कैबिनेट में लेना चाहते थे, इसलिए उन्हें अचानक बीजेपी में शामिल कर लिया गया था. जाहिर है, शिवसेना को इस बात से झटका लगा था.
'घिसा-पिटा है रेल तंत्र'
सामना ने लिखा, 'वित्तीय संसाधनों की कमी और रेलवे में 'खैरात तंत्र' की परंपरा के चलते रेल तंत्र आधुनिक तंत्रों से लैस नहीं है. कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के ही इटारसी में सिग्नल व्यवस्था खराब हुई. जिस देश में 'बुलेट ट्रेन' दौड़ाने की कवायद चल रही है वहां मध्य प्रदेश के इटारसी के सिग्नल सिस्टम को ठीक करने में महीनों लग जाते हैं.'
शिवसेना के मुखपत्र ने लिखा है, 'हमारा रेल तंत्र कितना घिसा-पिटा है इसका अंदाजा इटारसी की घटना से ही लगया जा सकता है. हरदा में हुई रेल दुर्घटना ने एक बार फिर रेल प्रशासन को खतरे की घंटी से अवगत कराया है. इस दुर्घटना से रेल विभाग को सीख लेनी होगी.'