महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अब वे महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किए गए हैं. नाना पटोले के इस कदम से शिवसेना टेंशन में है. शनिवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना में शरद पवार द्वारा इस मामले में उठाये गये कदमों पर सहमति जताते हुए लिखा है कि अध्यक्ष का पद कांग्रेस को पांच साल के लिए दिया गया था, न कि एक वर्ष के लिए. शिवसेना और एनसीपी ने राज्य में बजट सत्र से पहले अध्यक्ष पद के लिये नये सिरे से चुनाव को लेकर चिंता जताई है.
सामना के संपादकीय में लिखा गया है कि महागठबंधन सरकार के लिये चीजें आसान हो रही है, लेकिन व्यवस्था बिगाड़ने की जरूरत नहीं है. निश्चित रूप से एमवीए को विधानसभा में बहुमत प्राप्त है, लेकिन बीजेपी को मौका क्यों दिया जाये. शिवसेना ने ये भी कहा है कि कांग्रेस पार्टी में पदों के लिए लंबी कतार है.
दो साल पहले कोई भी कांग्रेस पार्टी में महाराष्ट्र अध्यक्ष का पद स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं था. उस समय बालासाहब थोरात ने बागडोर अपने हाथ में ली और चुनाव लड़े. वो अच्छे दिनों की शुरुआत थी. कई लोगों को उम्मीद जाग गई कि अब महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस महत्वपूर्ण भूमिका में रहेगी. इसके बाद से प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद चाहने वालों की कतार भी लंबी हो गई.
वहीं सामना में प्रियंका और राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुये कहा गया है कि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में दो सीट जीतीं. अगर राहुल गांधी और प्रियंका नागपुर में रैली करते, तो वे दो नहीं बल्कि चार सीटों पर जीत हासिल करते. महाराष्ट्र में कांग्रेस जीवन और संपन्न है. नागपुर संभाग स्नातक चुनाव में अभिजीत वंजारी की जीत बीजेपी के लिये एक बड़ा झटका था. संपादकीय में कहा गया है कि पटोले ने महाराष्ट्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जो जिम्मेदारी संभाली है, वो दिल्ली के समर्थन के बिना संभव नहीं थी. पटोले महाराष्ट्र में कांग्रेस को नई ऊर्जा देंगे. उम्मीद है कि कांग्रेस के पास जल्द जी एक राष्ट्रीय अध्यक्ष भी होगा.