शिवसेना पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने पुणे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि मंत्री उद्धव ठाकरे एक खुफिया भाषा सीखना चाहते हैं. राउत ने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब आपतकाल की घोषणा की थी तब तत्कालीन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर लेकर आपातकाल की घोषणा की थी. आज केंद्र सरकार ने छिपी हुई रणनीती से आपातकाल जैसा ही माहौल बनाया है.
संजय राउत ने कहा कि तब आपातकाल के दौर में जो भी होता था वही आज हो रहा है. जब संजय राउत से पूछा गया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय जो आपातकाल घोषित हुआ था उस समय सामाजिक सिनेकलाकरों से विरोध होता था क्या? इस सवाल के जवाब में राउत ने कहा उस समय सेलिब्रिटीज नहीं हुआ करते थे. उस समय के कलाकार राष्ट्रीय विचारधारा से संपन्न थे. वह कमिटेड थे. उनका आजादी के संघर्ष से सीधा संबंध था. अभिनेता और अभिनेत्रियों के रोम-रोम में राष्ट्रप्रेम बसता था.
संजय राउत ने कहा कि अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति पद के लिए अटल बिहारी वाजपेई, प्रमोद महाजन और अन्य नेताओं ने एक साथ पसंद किया था. सभी दलों ने अब्दुल कलाम को समर्थन दिया था. संजय राउत ने दो टूक कहा कि जब एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाया गया तब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति से बहुत दूर थे. उन्होंने बिना नाम लिए हुए कहा कि अब तो समय ऐसा आ गया है कि हर बात के लिए क्रेडिट लेने की होड़ लगी है. यही वजह है कि ऐसे लोगों का मजाक भी बनाया जा रहा है.
संजय राउत से पूछा गया कि महाराष्ट्र के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने महाविकास अघाडी सरकार पर विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में जानबूझ कर देरी करने का आरोप लगाया है. इसके जवाब में राउत ने कहा कि चंद्रकांत पाटील को यह भूलना नहीं चाहिए कि कोरोना महामारी का हवाला देते हुए बीजेपी ने संसद का कार्यकाल नहीं होने दिया. कोरोना वायरस महामारी सिर्फ देश ही नहीं दुनिया के सामने बड़ा संकट है.
संजय राउत ने आगे कहा कि चंद्रकांत दादा पाटील जो 5 वर्ष से राज्य में सत्ता में थे उन्हे ऐसी भाषा नहीं बोलनी चाहिए. महाविकास अघाड़ी के डरने की कोई बात नहीं है. हमारे पास 170 विधायकों का बहुमत है और यह राज्य में सरकार स्थापन करते हुए भी हमने बताया था. महाविकास अघाड़ी को बहुमत की बिल्कुल चिंता नहीं है. हमें तो सिर्फ चिंता है कोरोना वायरस महामारी के फैलाव की है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि शिव जयंती के दिन खुफिया भाषा, यानी कि दिल की भाषा सीखने पर जोर देने वाला हूं. संजय राउत ने इस पर कहा कि शरद पवार साहब को दिल की भाषा, यानी इंगित भाषा सबसे ज्यादा समझ में आती है. बालासाहेब ठाकरे के भी जो दिल में होता था वही जुबान पर होता था.
आगे संजय राउत बोले कि मुख्यमंत्री ठाकरे को लग रहा होगा कि किसके दिल में क्या है यह जानने के लिए यह दिल वाली भाषा यानी इंगित भाषा सीखने में भलाई है इसलिए शायद उन्होंने ऐसा कहा होगा.