scorecardresearch
 

शिवसेना बोली- Oxfam की रिपोर्ट ने खोल दी सबका साथ सबका विकास की पोल

Shiv Sena again hits Modi Government केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि ‘ऑक्सफैम’ की वार्षिक रिपोर्ट ने ‘सबका विकास’ के दावे की पोल खोल दी है. हिंदुस्तान के अमीर और गरीब के बीच की खाई तेजी से बढ़ रही है, यह सच्चाई दुनिया के सामने इस रिपोर्ट ने रख दी है. यह रिपोर्ट हर संवेदनशील इंसान को बेचैन करने वाली है.

Advertisement
X
Uddhav Thackeray (Courtecy- aajtak.in)
Uddhav Thackeray (Courtecy- aajtak.in)

Advertisement

केंद्र और महाराष्ट्र की एनडीए सरकार में सहयोगी शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर एक बार फिर से हमला बोला है. इस बार शिवसेना ने ऑक्सफैम की रिपोर्ट को लेकर मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा कि हिंदुस्तान जल्द ही आर्थिक महासत्ता बनने वाला है. इस तरह की अफवाहें पहले भी बीच-बीच में उड़ाई जाती रही हैं. केंद्र की सरकार किसी भी दल की हो, फिर भी आर्थिक क्षेत्र में देश का ग्राफ किस तरह तेजी से बढ़ रहा है, यह बात भुजाएं फड़काकर कहने की परंपरा ही हो गई है.

शिवसेना ने सामना के संपादकीय में कहा कि इस तथाकथित आर्थिक उन्नति का कोई भी फल आम आदमी की झोली में नहीं गिरता है. इसके कारण देश की जनता इस तरह की पटाखाबाजी करने वालों पर तिल मात्र भी विश्वास नहीं करती है. आर्थिक विकास और देश के सर्वांगीण उन्नति का ढोल सत्ताधारी कितना ही क्यों न पीटें पर सच्चाई इसके विपरीत है.

Advertisement

शिवसेना बोली- ऑक्सफैम की रिपोर्ट बेचैन करने वाली

शिवसेना ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में कार्य करने वाली प्रतिष्ठित संस्था ‘ऑक्सफैम’ की वार्षिक रिपोर्ट ने ‘सबका विकास’ के दावे की पोल खोल दी है. हिंदुस्तान के अमीर और गरीब के बीच की दूरी तेजी से बढ़ रही है, यह सच्चाई दुनिया के सामने इस रिपोर्ट ने रख दी है. यह रिपोर्ट हर संवेदनशील इंसान को बेचैन करने वाली है. दुनिया के साथ-साथ हिंदुस्तान की असली तस्वीर बताने वाली इस रिपोर्ट ने अमीर और गरीब के बीच की सच्चाई को सामने लाकर रख दिया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हिंदुस्तान की कुल संपत्ति में से 51.53 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ एक प्रतिशत लोगों के पास है.

सामना के संपादकीय में कहा गया कि देश के 10 प्रतिशत लोगों के पास हिंदुस्तान की कुल संपत्ति का 77.4 प्रतिशत हिस्सा है. देश के सिर्फ एक प्रतिशत अमीर लोगों की तिजोरी में देश के आधे से अधिक लोगों की संपत्ति पड़ी है. यह विषमता यहीं पर नहीं थमती. जो एक प्रतिशत अमीर वर्ग है, उनकी संपत्ति में पिछले एक वर्ष में प्रतिदिन 2 हजार 200 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है, जिसके चलते सालभर में हिंदुस्तान के ये ‘कुबेर’ 39 प्रतिशत और अमीर बन गए. इसके विपरीत आर्थिक दृष्टि से कमजोर होने वाली जनता की संपत्ति में सिर्फ 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

Advertisement

एक ओर अमीर, दूसरी ओर वो गरीब जिनको दो वक्त का निवाला भी नसीब नहीं

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी शिवसेना ने कहा कि ऑक्सफैम की रिपोर्ट में दिखाया गया कि एक तरफ एक प्रतिशत अमीर हैं, तो दूसरी तरफ वो लोग, जिनको दो वक्त का निवाला भी नसीब नहीं होता. गांव, बस्तियों और शहरी झोपड़पट्टियों में जीवन व्यतीत करने वाली गरीब जनता को रोटी के लिए तो संघर्ष करना ही पड़ता है. साथ ही बीमारी और उसके लिए जरूरी दवाओं के लिए भी उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ता है. एक प्रतिशत लोगों के पास असीमित संपत्ति है और उसी देश में बाकी जनता के पास अनाज के लिए भी पैसे नहीं हैं. ऐसी विषमता की खाई होने के बावजूद देश में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने की डींगें हांकी जाती हैं. ‘ऑक्सफैम इंटरनेशनल’ ने इसी विषमता पर उंगली उठाई है.

सत्ताधारियों ने बदल दिया लोकतंत्र का मतलब: शिवसेना

शिवसेना ने कहा कि एक ओर एक प्रतिशत अमीर और दूसरी ओर बाकी गरीब जनता की भयंकर विषमता हिंदुस्तान की सामाजिक रचना और लोकतंत्र की नींव को खोखला करने वाली है. इस तरह की चेतावनी ही ऑक्सफैम ने दी है. किताब में लोकतंत्र की जो परिभाषा लिखी गई है, उसमें ‘लोगों द्वारा, लोगों के लिए चलाए जाने वाले जनकल्याणकारी राज्य को लोकतंत्र कहा गया है.' लोकतंत्र की यह परिभाषा कागज पर ही रह गई. सत्ताधारियों ने इस परिभाषा को बिगड़ा कर- 'मुट्ठी भर लोगों द्वारा, मुट्ठी भर लोगों के लिए चलाया जाने वाला राज यानी लोकतंत्र'- कर दिया.

Advertisement

किसान आत्महत्या की जड़ विषमता

दुनियाभर की अर्थव्यवस्था का अध्ययन कर गरीब और अमीर की विषमता पर ‘ऑक्सफैम’ हर साल अपनी रिपोर्ट पेश करती है. इसके पहले भी इसी तरह की विषमता सामने आई है. मगर इस विषमता को कम करने की दृष्टि से गरीबों को आर्थिक रूप से अधिक सक्षम करने के लिए किसी तरह की कोई ठोस योजना दिखाई नहीं देती है. इसीलिए विषमता की यह खाई कम होने की बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. शिवसेना ने कहा कि हिंदुस्तान के किसान, बेरोजगार और निम्न व मध्यम वर्गीयों की आत्महत्या की जड़ इसी विषमता में छिपी है.

सूखे पत्ते की तरह उड़ गए अच्छे दिन की घोषणा

एक प्रतिशत धनाढ्य लोगों के पास देश से आधे लोगों से अधिक की संपत्ति और बाकी देश के गरीबों के घरों में नित दरिद्रता का वास ही हिंदुस्तान की विषमता की भयानक सच्चाई ‘ऑक्सफैम’ की रिपोर्ट दर्शाती है. हिंदुस्तान की समस्त जनता को चाहिए कि इस रिपोर्ट को देखकर सत्ताधारियों से यह सवाल पूछे कि आखिर इतनी विषमता क्यों है? ‘अच्छे दिन’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसी घोषणा इस तरह की रिपोर्ट के सामने सूखे पत्ते की तरह उड़ जाती हैं और सत्ता सिर्फ एक प्रतिशत अमीरों के लिए ही चलाई जा रही है क्या? यह जो सवाल खड़ा होता है, वो अलग से है?

Advertisement
Advertisement