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'सामना' के लेख पर बोली कांग्रेस- UPA में शामिल हो जाए शिवसेना और इसे मजबूत बनाए

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बालासाहेब थोराट ने सोमवार को कहा कि यह एक पत्रकारिता करने वाला अखबार है, हमें नहीं पता कि यह सेना का रुख है. शिवसेना को यूपीए में शामिल होना चाहिए और इसे मजबूत बनाना चाहिए.

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महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बालासाहेब थोराट (फाइल फोटो-PTI)
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बालासाहेब थोराट (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बालासाहेब थोराट ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
  • शिवसेना से की यूपीए का हिस्सा बनने की अपील

शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को लेकर की गई बयानबाजी पर कांग्रेस ने पलटवार किया है. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बालासाहेब थोराट ने सोमवार को कहा कि यह एक पत्रकारिता करने वाला अखबार है, हमें नहीं पता कि यह सेना का रुख है. शिवसेना को यूपीए में शामिल होना चाहिए और इसे मजबूत बनाना चाहिए.

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कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने कहा कि भाजपा राष्ट्र के हित में नहीं है. उनके पास समानता का मुद्दा नहीं है, केवल समानता ही राष्ट्र को आगे ले जा सकती है. शिवसेना नेता संजय राउत की पत्नी को ईडी का नोटिस भेजे जाने के सवाल पर बालासाहेब थोराट ने कहा कि विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए केंद्र सरकार एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.

वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के आधार पर महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन दिया है. शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है, इसलिए यूपीए के बारे में शिवसेना को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार नहीं है और शिवसेना को यह ध्यान रखना चाहिए.

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कांग्रेस नेता नसीम खान ने कहा कि हमारी पार्टी हमेशा मौजूदा कृषि कानूनों के खिलाफ रही है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी मजबूती के साथ किसानों के साथ खड़ी है. वहीं, पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने शिवसेना को हिदायत दी कि, जो पार्टी यूपीए का हिस्सा नहीं है उसे यूपीए के नेतृत्व के बारे में कांग्रेस को सलाह नहीं देनी चाहिए. 

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आपको बता दें कि शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए लिखा था कि वे काम तो पर्याप्त कर रहे हैं, लेकिन उनके नेतृत्व में अभी कुछ कमी है. कांग्रेस को एक फुलटाइम अध्यक्ष की जरूरत है. साथ ही यूपीए में गड़बड़ है और विपक्ष को एकजुट करने के लिए नेतृत्व की जरूरत है. यूपीए में केवल शरद पवार ही नजर आते हैं. उनके अनुभव का लाभ पीएम नरेंद्र मोदी तक लेते हैं.

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