पिछले कई दिनों से बीजेपी से अलग राह चलने वाली शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया है. हालांकि इस समर्थन में एक हिदायत भी दी है. शिवसेना ने पीएम मोदी के इस बयान का समर्थन किया है कि संविधान मेरा धर्मग्रंथ है. पार्टी ने कहा है कि बाल ठाकरे भी ऐसा ही कहते थे, मोदी अब उसी मार्ग का अनुकरण कर रहे हैं.
मोदी को दी यह हिदायत
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लेख लिखकर कहा है कि संविधान यदि धर्मग्रंथ है तो प्रधानमंत्री को उसकी भूमिका का विस्तार कर देश को धर्म की राजनीति से बाहर निकालना चाहिए. यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वह इस धर्मग्रंथ के मूल विचार को ही विस्तार प्रदान करे.
सियासी शह-मात के कारण दरार
सामना ने पार्टी ने लिखा है कि जाति और धर्म में राजनीतिक शह और मात के खेल के कारण देश की एकता में दरार आई है. इसी वजह से संविधान का गुंबद धराशायी होने के भय का निर्माण हो गया है. देश की जनता को इस ग्रंथ (संविधान) पर हाथ रखकर कोर्ट में शपथ लेनी चाहिए, ना कि गीता, कुरान या बाइबल पर हाथ रखकर.