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शिवसेना के नाम और 'धनुष-बाण' पर रोक, अब किस चुनाव चिन्ह पर उपचुनाव लड़ेंगे उद्धव और शिंदे गुट?

आयोग ने फिलहाल अगले आदेश तक 'धनुष-बाण' के साथ शिवसेना का नाम भी फ्रिज कर दिया है. जिसके बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि दोनों धड़े किस नाम और चुनाव चिन्ह पर 3 नवंबर को होने वाले अंधेरी पूर्व में उपचुनाव लड़ेंगे? दोनों गुट इस पर आज रविवार को मंथन करेंगे.

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एकनाथ शिंदे व उद्धव ठाकरे
एकनाथ शिंदे व उद्धव ठाकरे

शिवसेना के दोनों धड़ों के बीच तलवारें भले खिंची हों, पर निर्वाचन आयोग ने शिवसेना के मूल चुनाव चिन्ह 'तीर-कमान' तरकश में रख दिए हैं. यानी आयोग ने फिलहाल अगले आदेश तक 'धनुष-बाण' के साथ शिवसेना का नाम भी फ्रिज कर दिया है. जिसके बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि दोनों धड़े किस नाम और चुनाव चिन्ह पर 3 नवंबर को होने वाले अंधेरी पूर्व में उपचुनाव लड़ेंगे? इसको लेकर दोनों गुट आज रविवार को मंथन करेंगे. दरअसल आयोग ने दोनों गुटों को 10 अक्टूबर तक अपने-अपने दल के लिए अपनी पसंद के तीन नाम और तीन चुनाव चिन्ह देने को कहा है. आयोग संभवत: महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ के जरिए इसे तय कर देगा. 

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आयोग ने 8 अक्टूबर को जारी अपने फरमान में दोनों धड़ों को ये छूट जरूर दी है कि दोनों अपने नाम के साथ चाहे तो सेना शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं. बहरहाल आयोग के पास नाम और फ्री सिंबल्स में से तीन विकल्प प्राथमिकता के आधार पर बताने ही होंगे. अंधेरी पूर्व विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर आयोग ने दोनों धड़ों से शिव सेना के मूल नाम से मिलता जुलता या अपने अपने लिए अनुकूल नाम का प्रस्ताव मांगा है. साथ ही आजाद उम्मीदवारों के लिए फ्री चुनाव चिह्न में से प्राथमिकता के आधार पर तीन तीन चुनाव चिन्ह की सूची मांगी है. आयोग किसी अन्य उम्मीदवार या क्षेत्रीय दल को न आवंटित किए गए चिन्ह में से प्राथमिकता के आधार पर चिन्ह आवंटित कर देगा. पार्टी के झंडे को लेकर भी यही नीति रहेगी.

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उपचुनाव के बाद शिवसेना पर फैसला?

बताया जा रहा है कि उपचुनाव निपटने के बाद शिवसेना के मूल नाम और चिन्ह पर दावे की सुनवाई आयोग अपने कायदे के मुताबिक करता रहेगा. आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चूंकि दावों को पड़ताल करने में समय और संसाधन लगते हैं. लिहाजा आयोग इसमें हड़बड़ नहीं करता. पूरी तसल्ली के बाद ही आदेश आएगा.  हालांकि पूर्व में भी पार्टियों में विभाजन, विवाद, बगावत हुई है. तब भी नाम और निशान को लेकर दावे प्रति दावे हुए थे. आयोग ने तब भी सबसे पहले मूल पार्टी का नाम निशान और झंडा फ्रिज कर दिया था.  हाल ही में लोक जनशक्ति पार्टी और उससे पहले  जनता दल और एआईएडीएमके में ऐसे ही विवाद हुए तो आयोग ने यही नीति अपनाई थी.

दोनों गुटों के नेताओं की बैठक

चुनाव आयोग के शिवसेना के सिंबल पर रोक लगाए जाने के बाद दोनों गुटों में हलचल पैदा हो गई है. इसके लेकर रविवार 9 अक्टूबर दोपहर 12 बजे उद्धव ठाकरे अपने नेताओं के साथ मातोश्री में बैठक करेंगे. वहीं एकनाथ शिंदे अपने गुट के मंत्री और सांसदों के साथ वर्षा बंगलो पर शाम 7 बजे बैठक करेंगे. बताया जा रहा है कि दोनों गुटों में आगे की रणनीति तैयार करने के साथ ही नए नाम और सिंबल को लेकर भी चर्चा की जाएगी.

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शिंदे ने फूंका था बगावत का बिगुल 

बता दें कि एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने के लिए ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया था. शिवसेना के 55 में से 40 से अधिक विधायकों ने शिंदे का समर्थन किया था, जिसके कारण ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. शिंदे ने ठाकरे गुट से अलग होने के बाद बागी विधायकों की मदद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. इस सरकार में एकनाथ शिंदे को सीएम और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ था. शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बताता है और पार्टी सिंबल धनुष-तीर पर अपना दावा कर रहा है.

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