शिवसेना के सिंबल को लेकर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच आपसी टकरार जारी है. शिंदे गुट ने शिवसेना पर अपना दावा ठोंक दिया है और उद्धव ठाकरे का कहना है कि उनकी ही पार्टी असली शिवसेना है. इस मामले में आज चुनाव आयोग में सुनवाई हुई और कह गया कि संविधान को बदलने का तरीका गलत था. इस मामले पर अगली सुनवाई अब 17 जनवरी को होगी.
शिंदे गुट की ओर से कह गया कि हमारे (एकनाथ शिंदे) के पास बहुमत है. चाहे वह विधायक हों, सांसद हों या संगठन के लोग हों. एकनाथ शिंदे ही असली शिवसेना हैं. साथ ही यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट अयोग्यता के मामले पर सुनवाई कर रहा है, जो सिंवल वॉर से अलग है.
क्या है ये पूरा विवाद?
बता दें कि एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट से अलग होने के बाद बागी विधायकों की मदद से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. इस सरकार में एकनाथ शिंदे को सीएम और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ था. शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बताता है और पार्टी सिंबल धनुष-तीर पर अपना दावा कर रहा है. यह विवाद इसी को लेकर है.
उपचुनाव से पहले भी उठा थे ये विवाद
गौरतलब है कि इस विवाद को सुलझाने के लिए चुनाव आयोग पहले भी संज्ञान ले चुका है. अंधेरी ईस्ट सीट के उपचुनाव से पहले चुनाव आयोग ने 8 अक्टूबर को बड़ा फैसला लिया था. आयोग ने कहा था कि दोनों गुटों में से किसी को भी शिवसेना (Shiv Sena) के लिए आरक्षित 'धनुष और तीर' के चुनाव चिन्ह का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
दोनों गुटों को मिले थे नए चुनाव चिन्ह
चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को इन उपचुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित मुक्त प्रतीकों की सूची में से अलग-अलग चुनाव चिन्ह चुनने को कहा था. इसके बाद उद्धव ठाकरे गुट को 'ज्वलंत मशाल' (मशाल) और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को 'दो तलवारें और एक ढाल' का चुनाव चिन्ह दिया गया था. यह दोनों ही निशान एक समय पर मूल पार्टी शिवसेना से जुड़े हुए थे. फिर लंबे टाइम बाद जाकर पार्टी को 'धनुष और तीर' का चुनाव चिन्ह मिला था.
बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना ने 1985 में 'ज्वलंत मशाल' प्रतीक का उपयोग करके सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा था, जिसे कि गुटीय झगड़े के बीच चुनाव आयोग द्वारा उद्धव ठाकरे गुट- 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' को आवंटित किया गया था. शिंदे गुट को 'दो तलवारें और एक ढाल' का प्रतीक आवंटित किया गया था.