शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने बुधवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस दावे को खारिज कर दिया कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने उन्हें जेल में डालने की कोशिश की थी. साथ ही पार्टी ने फडणवीस से पूछ कि उन्हें किस मामले में गिरफ्तारी से डर था. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में दावा किया गया है कि आईपीएस अधिकारियों ने एमवीए विधायकों को फडणवीस का समर्थन करने की धमकी दी थी और उनके फोन टैप करके उनकी जासूसी की थी.
इसमें कहा गया है कि फडणवीस को बताना चाहिए कि इस तरह की अवैध फोन टैपिंग अपराध है या नहीं. इसमें आगे कहा गया है कि महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति में राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी और उनके परिवार के सदस्यों के उत्पीड़न के मामले कभी नहीं देखे गए हैं.
दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गठबंधन तोड़ लिया था. ठाकरे ने बाद में राज्य में एमवीए बनाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. हालांकि पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने ठाकरे सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिससे उनकी सरकार गिर गई थी. फिर इनकी मदद से 30 जून को शिंदे ने बतौर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और भाजपा नेता फडणवीस को सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया.
फडणवीस ने एमवीए की सरकार पर लगाए थे आरोप
न्यूज एजेंसी के मुताबिक फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि गत एमवीए सरकार ने मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजय पांडे को मुझे जेल में डालने का टारगेट दिया था, लेकिन पुलिस अधिकारी सफल नहीं हो सके, क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बुधवार को सामना के संपादकीय में पूछा गया, "फडणवीस डरे हुए क्यों हैं कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है? किस मामले में उन्हें गिरफ्तारी का डर था और उनका इस मामले से क्या संबंध था. फडणवीस को स्पष्ट करना चाहिए."
फडणवीस झूठ बोल रहे हैं- सामना
सामना में दावा किया गया है, "पिछले कुछ दिनों से फडणवीस झूठ बोल रहे हैं. यह संघ (आरएसएस) के संस्कार नहीं हैं. एमवीए सरकार ने कथित फोन टैपिंग के सिलसिले में आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ पुणे और मुंबई में मामले दर्ज किए थे. जब फडणवीस मुख्यमंत्री थे, तब एमवीए नेताओं के फोन अवैध रूप से टैप किए गए थे. यह दावा किया गया कि एमवीए नेताओं के फोन नंबर अलग-अलग नामों से टैप किए जा रहे थे, जिन्हें ड्रग पेडलर और आतंकवादी कहा जाता था."
संपादकीय में कहा गया है कि फडणवीस को यह भी बताना चाहिए कि इस तरह की 'अवैध' टैपिंग अपराध है या नहीं. मामले के जांच अधिकारियों ने फडणवीस से मुलाकात की जब वह विपक्ष के नेता थे और सम्मानपूर्वक उनका बयान लिया. मराठी दैनिक ने कहा कि इसे मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है.
'फोन टैपिंग मामले की जांच पूरी कराएं'
इसमें आगे कहा गया है कि एमवीए नेता अनिल देशमुख, नवाब मलिक, संजय राउत को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने बेवजह गिरफ्तार किया. संपादकीय में पूछा गया कि अगर फोन टैपिंग का मामला काफी गंभीर नहीं था तो इसी मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख संजय पांडेय को गिरफ्तार क्यों किया गया. रश्मि शुक्ला के खिलाफ मामले हटा दिए गए और उन्हें पदोन्नत कर दिया गया. वास्तव में एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार को फोन टैपिंग मामले की जांच पूरी करने की अनुमति देकर इसे उसके तार्किक अंत तक ले जाना चाहिए था.