शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र विधान सभा के स्पीकर के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस अर्जी में मूल शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे गुट के साथ जाने वाले विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की सुनवाई के कार्यक्रम को चुनौती दी गई है.
स्पीकर राहुल नार्वेकर की ओर से जारी कार्यक्रम के मुताबिक बागी विधायकों के खिलाफ दाखिल उद्धव ठाकरे गुट की अर्जी पर तीन अक्टूबर से 23 नवंबर के बीच सुनवाई होनी है. उद्धव ठाकरे गुट इस सुनवाई को शीघ्र निपटाने का पक्षधर है. सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट ने 50 दिन के इस सुनवाई शिड्यूल को समुचित तौर पर संक्षिप्त अवधि में ही निपटाने का आदेश जारी करने की गुहार सुप्रीम कोर्ट में लगाई है.
उद्धव ठाकरे गुट के अनुसार, इतने लम्बे समय तक सुनवाई खींचना समय बर्बाद करने का एक और प्रयास है. यदि इस शिड्यूल का पालन किया जाता है तो स्पीकर का फैसला दिसंबर में या उसके बाद भी टालने की आशंका है. लिहाजा इसी आधार पर ठाकरे गुट ने जल्द सुनवाई की मांग की है.
18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में स्पीकर की ओर से की जा रही देरी पर नाराजगी और असंतोष जताया तो स्पीकर ने सुनवाई का शेड्यूल जारी किया. तब चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली पीठ ने कहा था कि स्पीकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत मिले अधिकारों के आधार पर भी इस कार्यवाही को अनिश्चित काल तक लटका कर नहीं रख सकते.
स्पीकर और उनके सचिवालय के मन में कोर्ट के आदेश और निर्देशों के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए. सीजेआई चंद्रचूड़ ने दो टूक पूछा था कि सुप्रीम कोर्ट ने इस बाबत 11 मई को फैसला सुनाया था. आज साढ़े चार महीने बाद भी स्पीकर ने क्या किया? उस फैसले में स्पीकर को अयोग्यता की अर्जियों पर समुचित अवधि में निर्णय करने का निर्देश दिया गया था.
तब पीठ ने अपने फैसले में साफ कहा था कि दोनों गुटों ने एक दूसरे के कुल 56 विधायकों को व्हिप का उल्लंघन करने पर अयोग्य घोषित किए जाने के लिए कुल चौंतीस याचिकाएं लंबित हैं.
पीठ ने तब निर्देश दिया कि याचिकाओं को एक सप्ताह में स्पीकर के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए. स्पीकर को रिकॉर्ड पूरा करने और सुनवाई के लिए समय निर्धारित करने के समुचित प्रक्रिया के तहत निर्देश जारी करने को कहा गया था.
ये निर्देश शिवसेना के उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु की ओर से दायर याचिका पर फैसला सुनाते हुए दिए गए थे. उस फैसले में एकनाथ शिंदे के खिलाफ लंबित अयोग्यता कार्यवाही पर महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर द्वारा शीघ्र निर्णय लेने की मांग की गई थी. यह याचिका संविधान पीठ के फैसले में दिये गये निर्देशों के आधार पर दायर की गई थी.
11 मई, 2023 को दिए गए फैसले में संविधान पीठ ने कहा था कि उद्धव ठाकरे सरकार की बहाली के आदेश नहीं दिए जा सकते, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने विधान सभा के सदन में बहुमत परीक्षण का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्यता के मुद्दे पर निर्णय करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 226 और 32 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने से साफ इनकार कर दिया था.
अदालत ने विधायिका के अधिकार क्षेत्र का सम्मान करते हुए अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने का अधिकार स्पीकर के पास ही होने की दुहाई दी. पीठ ने कहा कि स्पीकर को समुचित अवधि में अयोग्यता की अर्जियों पर निर्णय ले लेना चाहिए. अब ठाकरे गुट संभव है मंगलवार को इस अर्जी पर शीघ्र सुनवाई के लिए सीजेआई के सामने उल्लेख करे.