केंद्रीय कैबिनेट विस्तार के बाद महाराष्ट्र की राजनीति ने भी दिलचस्प मोड़ ले लिया है. नाराज शिवसेना ने बीजेपी को आंखें दिखाते हुए विधानसभा में विपक्ष में बैठने की धमकी दी है. शिवसेना विधायक दल की बैठक के बाद पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने रविवार शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शरद पवार की पार्टी एनसीपी से हाथ मिलाती है तो शिवसेना विपक्ष में बैठेगी .
शिवसेना प्रमुख ने कहा कि वह आखिरी फैसले के लिए दो दिन और इंतजार करेंगे. उन्होंने कहा, 'हम प्रदेश में स्थिर सरकार चाहते हैं. हिंदुत्ववादी पार्टियों का एक साथ रहना देश के हित में है. लेकिन शरद पवार ही वह शख्स हैं जिन्होंने भगवा आतंकवाद जैसा शब्द दिया था. फिर भी बीजेपी उनके साथ जाना चाहती है तो जाए. लेकिन शिवसेना कट्टर और प्रखर हिंदुत्ववादी पार्टी है. वह हिंदुत्व का मुद्दा नहीं छोड़ेगी और ऐसी स्थिति में विपक्ष में बैठेगी.'
'नहीं बनेंगे बिन बुलाए मेहमान'
शिवसेना प्रमुख ने कहा, 'हम एनसीपी की तरह सत्ता में बिन बुलाया मेहमान नहीं बनेंगे. मान न मान, मैं तेरा मेहमान, ऐसा नहीं होगा. हम मजबूर या सत्ता के लिए बिल्कुल लाचार नहीं हैं.' उद्धव ने कहा कि हम पहले भी 'एकला चलो रे' की नीति पर चल चुके हैं और जरूरत पड़ी तो आगे भी चलेंगे.उन्होंने कहा कि हम बिना सत्ता और ताकत के महाराष्ट्र की जनता के हित में काम करेंगे. वहीं शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुना है. वह विधानसभा में शिवसेना विधायकों की अगुवाई करेंगे.
शिवसेना प्रमुख ने बताया कि उन्होंने बीजेपी के सामने शर्त रखी थी कि जब तक महाराष्ट्र पर आखिरी फैसला नहीं होगा, शिवसेना नेता केंद्रीय कैबिनेट में शपथ नहीं लेंगे. शिवसेना का कहना है कि बीजेपी आखिरी समय तक महाराष्ट्र के मुद्दे को टालती रही, इसलिए पार्टी के लिए यह स्वाभिमान का विषय बन चुका था. इसीलिए शपथ लेने दिल्ली पहुंचे अनिल देसाई को वापस बुलाया गया.
अनिल देसाई के लिए कैबिनेट पद चाहती थी शिवसेना!
खबरों की मानें तो शिवसेना-बीजेपी के बीच इस तल्खी का बीज बहुत पहले ही बोया जा चुका था. दरअसल शिवसेना केंद्रीय कैबिनेट में अपनी हिस्सेदारी तय करने से पहले महाराष्ट्र विधानसभा में किसी फॉर्मूले तक पहुंचना चाहती थी. लेकिन पार्टी को लगा कि बीजेपी जान-बूझकर प्रदेश में साझेदारी के मुद्दे को टाल रही है. काफी पहले ही शिवसेना के लिए यह मुद्दा आत्मसम्मान का बन चुका था.
शिवसेना भवन के बाहर BJP विरोधी नारे
इसके बाद जब मोदी कैबिनेट विस्तार चर्चा में आया तो शिवसेना ने सुरेश प्रभु को मंत्री बनाने पर आपत्ति जताई और अपने कोटे से अनिल देसाई के लिए कैबिनेट मंत्री का ओहदा मांगा. लेकिन मोदी सरकार ने दोनों ही बातें नहीं मानीं. खबरों के मुताबिक, शपथ ग्रहण के ठीक पहले सुरेश प्रभु को बीजेपी में शामिल कर लिया गया और अनिल देसाई को भी राज्य मंत्री का ही पद दिया गया.
शिवसेना इस बात से खफा हो गई. शिवसेना भवन में उद्धव ठाकरे ने पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई. भवन के बाहर शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने भगवा झंडे लहराते हुए बीजेपी विरोधी नारे लगाए.
बुधवार को विधानसभा में पेश हो सकता है विश्वास प्रस्तावबीजेपी को घमंडी बताते हुए शिवसेना प्रवक्ता आनंदराव अदसुल ने कहा, 'वह रोज कहते हैं कि वह 12 (नवंबर, जब विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाना है) के बाद मुद्दा सुलझा लेंगे. अगर वे हमारी अनदेखी करना चाहते हैं तो हमें यह स्वीकार नहीं है.'