महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर मचे बवाल के बाद अब शिवसेना ने मुख्यमंत्री देंवेद्र फडणवीस पर तीखी टिप्पणी की है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में 1992 के दंगों से मराठा आंदोलन की तुलना की है.
सामना में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री देंवेद्र फडणवीस वैसे तो 'सब कुछ मैं' की भूमिका में होते हैं, लेकिन पूरा महाराष्ट्र आरक्षण की आग में जला तब मुख्यमंत्री देंवेद्र फडणवीस कहां थे. पिछले एक हफ्ते से मराठा समुदाय परली में धरना प्रदर्शन कर रहा था. उस वक्त भी मुख्यमंत्री ने चर्चा नहीं की. यदि सीएम समय रहते कोई कदम उठाते तो महाराष्ट्र नहीं जलता और ना ही काकासाहेब शिंदे की मृत्यु होती.'
शिवसेना मुखपत्र में यह भी लिखा गया है कि मराठा आंदोलन पहले तो शांति से पूरे महाराष्ट्र में हो रहा था, लेकिन इस आंदोलन की आग में घी डालने का काम फडणवीस सरकार ने किया. सरकार ने 70 हजार सरकारी भर्ती निकाली और मराठा समुदाय के नौकरियों में आरक्षण की मांग को नजरअंदाज कर दिया.
आरक्षण के कारण नौकरी ना मिलने के बात ने मराठा समुदाय के युवाओं में एक डर को जन्म दे दिया और लोग सड़कों पर उतर आए और हिंसा भड़की.
सामना में मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बाकी पार्टियों को एक साथ आने की भी बात कही गई है. इसमें लिखा गया है कि मराठा समुदाय महाराष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है और सभी पार्टियां एकजुट होकर आरक्षण का मुद्दा सुलझाने आगे आए.
बीजेपी में मुख्यमंत्री बदलने की बात...!
मराठा आरक्षण के लिए हुए आंदोलन के बीच शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि बीजेपी के अंदर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बदलने की बात चल रही है. हालांकि, उनके इस दावे को बीजेपी ने ‘अफवाह’ बताकर खारिज कर दिया है.
राउत ने कहा था कि ‘राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के लिए अंतिम निर्णय बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे. बीजेपी के अंदर मुख्यमंत्री को बदलने की बात चल रही है.'