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'अयोध्या से बाबर और औरंगाबाद से औरंगजेब का नाम मिटा दिया', शिवसेना ने 'सामना' में कहा

उद्धव ठाकरे ने बुधवार को फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा दे दिया. हालांकि, इससे पहले हुई कैबिनेट बैठक में उन्होंने कई बड़े फैसले किए. उद्धव सरकार ने औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशीव करने का ऐलान किया है.

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उद्धव ठाकरे ने बुधवार को सीएम पद से दिया इस्तीफा
उद्धव ठाकरे ने बुधवार को सीएम पद से दिया इस्तीफा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उद्धव ठाकरे ने दिया सीएम पद से इस्तीफा
  • इस्तीफे से पहले उद्धव सरकार ने बदला औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के साथ ही महाविकास आघाड़ी सरकार गिर गई. हालांकि, इससे पहले सरकार पर संकट के बादल के बीच उद्धव सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम फैसले लिए. उद्धव सरकार ने औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशीव करने का ऐलान किया. शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव सरकार के इस फैसले की तारीफ की गई है. सामना के संपादकीय में लिखा गया कि जैसे शिवसैनिकों ने जैसे अयोध्या से बाबर का नामोनिशान मिटाया था, वैसे ही महाराष्ट्र से औरंगाबाद का नाम मिटा दिया गया. 

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शिवसेना ने सामना में लिखा गया, कैबिनेट में जनभावना से संबंधित फैसले किए गए. नई मुंबई हवाई अड्डे को लोकनेता दी.बा. पाटील का नाम देने का निर्णय लिया गया. औरंगाबाद का संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशीव करके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वचन पूरा किया. औरंगाबाद का नाम बदलने पर कुछ लोगों के पेट में दर्द हुआ. फिर भी उसकी परवाह किए बगैर मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिया. 

बाबर का नामोनिशान शिवसैनिकों ने मिटाया- शिवसेना

शिवसेना ने लिखा, अयोध्या के बाबर का नामोनिशान शिवसैनिकों ने हमेशा के लिए नष्ट कर दिया, उसी तरह औरंगाबाद का नाम महाराष्ट्र से मिटा दिया. इस पर महाराष्ट्र के मुसलमान भाइयों को भी अभिमान होना चाहिए. जिस तरह से बाबर हमारा कुछ नहीं लगता था, उसी तरह औरंगजेब से भी हमारा रिश्ता-नाता या खून का कोई संबंध नहीं था. वह छत्रपति संभाजी राजा का हत्यारा था और शिवराय उसके मुगल शासन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़े थे. 

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सामना में लिखा, महाराष्ट्र के किसी जिले का नाम औरंगजेब के नाम पर होना यह क्लेशदायक था ही, साथ ही स्वाभिमान को ठेस पहुंचानेवाला था. हाल के दिनों में कुछ लोगों के औरंगजेब की कब्र पर जानबूझकर नमाज अता करने के लिए आने से यह अवशेष कुछ ज्यादा ही चर्चा में आ गया. लेकिन महाराष्ट्र सिर्फ शिवराय के विचारों का और हिंदू हृदयसम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की भूमिका को मानने वाला है. 

'औरंगाबाद पर फैसला को नम्रता से स्वीकार करें मुस्लिम'

शिवसेना ने लिखा,  'अयोध्या' मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया निर्णय जिस नम्रता से देश भर के मुस्लिम समाज ने स्वीकार किया था, वही भूमिका संभाजीनगर के मामले में अपनानी चाहिए. 'ठाकरे' सरकार औरंगाबाद का संभाजीनगर करने से डरती है, ऐसा सवाल बीच के दौर में राज्य के विपक्ष ने किया था. असल में फडणवीस का शासन महाराष्ट्र में होने के दौरान उन्होंने यह कर्म क्यों नहीं किया, इस सवाल का उत्तर उन्हें पहले देना चाहिए! 

सामना में लिखा, संभाजीनगर के पानी की समस्या हो या नाम बदलने की, सभी सवालों का ठाकरे सरकार ने समाधान खोजा. आखिरकार, कई बार लोकभावना का ही आदर करके निर्णय लेना पड़ता है. उस्मानाबाद का धाराशीव के रूप में नाम बदलने का मामला लंबे वक्त से लंबित पड़ा था.  इस मामले में भी शिवसेना ने वचन दिया था. मराठवाड़ा यह औरंगजेब की तरह निजाम के पैरों तले रौंदा गया प्रदेश है. एक बड़े संघर्ष के बाद मराठवाड़ा का निर्माण हुआ. मराठवाड़ा के मुक्ति संग्राम के लिए जिन्होंने शहादत दी, दोनों शहरों के नाम बदलना उन सभी वीरों के लिए श्रद्धांजलि साबित होगा. यह निर्णय दोनों पक्षों को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए.  तभी हिंदुत्व का सम्मान रहेगा और राष्ट्रभक्ति की भावना मजबूत होगी. इस मुद्दे पर लोगों को भड़काने का काम किया जाएगा. लेकिन ये फैसला बाला साहेब की इच्छा के मुताबिक है. 

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सामना में लिखा गया, इन फैसलों से महाराष्ट्र की अस्मिता को तेज प्राप्त हुआ है और ठाकरे सरकार निखरकर सामने आई है. विरोधियों के पास अब बोलने के लिए क्या बचा है?


 

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