भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर जारी विवाद अब सुलझ गया है. चीन की सेना ने LAC से पीछे हटना भी शुरू कर दिया है, जिसकी तस्वीरें भी सामने आ चुकी हैं. लेकिन इस मसले पर अभी भी बयानबाजी का दौर लगातार चल रहा है. शिवसेना ने गुरुवार को अपने मुखपत्र सामना में इसी मसले पर लेख लिखा और केंद्र सरकार पर तंज कसा. सामना में लिखा गया है कि अगर कोई सेना हमारे इलाके में घुसी ही नहीं थी, तो फिर वापस कैसे जा रही है.
शिवसेना के सामना में कहा गया, ‘हिंदुस्तान की सीमा में घुसी चीन की सेना वापस लौट रही है और इस घटना का राजनीतिक उत्सव शुरू हो गया है. सालभर चीनी सेना ने हमारी जमीन पर लगभग 20 किलोमीटर तक की घुसपैठ की थी, उस संघर्ष के दौरान गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे. सैनिकों के बलिदान पर विरोधियों ने सरकार से सवाल करके उनको घेरा. उस दौरान प्रधानमंत्री सहित भाजपा के कई नेता और मंत्री कई विषयों पर बोलते रहे, लेकिन जब उनसे चीन की घुसपैठ के मामले में सवाल किया जाता तो वे पलायन कर जाते.’
सामना में कहा गया कि चार दिन पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जानकारी दी कि चीन से समझौता हो चुका है. प्रधानमंत्री मोदी दो महीने पहले कह रहे थे कि चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ नहीं की है, वही प्रधानमंत्री अब कह रहे हैं कि चीन ने हमारी जमीन से कब्जा छोड़ दिया. मतलब चीन ने घुसपैठ की ये बात सच थी और प्रधानमंत्री देश से झूठ बोल रहे थे. अब इस मामले का जो राजनीतिक विजयोत्सव शुरू है वह मजेदार है, बड़े शौर्य का प्रचार और प्रचार मुहिम चलाई जा रही है.
'जो सेना घुसी नहीं, वो वापस कैसे जा रही है'
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए सामना में लिखा गया कि प्रधानमंत्री के अनुसार जो सेना हमारी सीमा में कभी घुसी ही नहीं थी वह सेना कैसे वापस लौट रही है, ‘पैंगांग’ से सटे चीनी निर्माण कार्य कैसे ध्वस्त किए जा रहे हैं, इसकी तस्वीरें प्रकाशित की जा रही हैं. पैंगांग परिसर में चीनियों द्वारा ठोंके गए तंबू निकाले जाने की तस्वीरें फैलाई जा रही हैं. चीन लौट रहा है ये खुशी की बात है, यह हिंदुस्तानी रक्षा विभाग की सजगता की जीत है, ये बात स्वीकार है. लेकिन चीन घुसपैठ प्रकरण में देश के सत्ताधीश लगातार झूठ क्यों बोलते रहे, यह सवाल अनुत्तरित है.
शिवसेना ने सवाल किया कि संसद में राजनाथ सिंह ने जब चीन के लौटने के संदर्भ में बात कही तब दलीय मतभेद भूलकर सभी ने मेज थपथपाकर रक्षामंत्री का अभिनंदन किया. लेकिन विरोधी पक्ष को सरकार से कुछ सवाल करने थे, जो कि पूछने नहीं दिए गए. विपक्ष अगर सवाल पूछ लेता तो कौन-सा आसमान टूट पड़ता. राष्ट्रीय सुरक्षा का अत्यंत संवेदनशील मामला होने की बात कहकर संसद का मुंह बंद कर दिया गया.
केंद्र पर निशाना साधते हुए लिखा गया कि सवाल सिर्फ इतना है कि चीन की सेना हमारी सीमा में इंच भर भी नहीं घुसी, विपक्ष भ्रम और अफवाह फैला रहा है, गत एक साल से सरकार की ओर से हर स्तर पर जो ऐसा कहा जा रहा है, वह सब लफ्फाजी थी, ये अब स्पष्ट हो चुका है. चीनी सेना के लौटने का उत्सव सरकार ने ही शुरू किया. अगर कोई इसे विजय का उत्सव कह रहा होगा तो उसके दिमाग की जांच होनी चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में ऐसा फंसना-फंसाना शुरू होगा तो क्या करें?