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शिंदे और अजित गुट में छिड़ा पहला विवाद, भरत गोगावले ने अदिति तटकरे को मंत्री बनाने का किया विरोध

महाराष्ट्र में अजित पवार के शिंदे सरकार में शामिल होने के 5वें दिन ही विवाद हो गया. शिंदे गुट के विधायक भरत गोगावले ने अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नामित करने का विरोध कर दिया है. उनका दावा है कि रायगढ़ के संरक्षक मंत्री का पद शिवसेना के लिए आरक्षित था.

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अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नामित किया गया है.
अदिति तटकरे को रायगढ़ का संरक्षक मंत्री नामित किया गया है.

महाराष्ट्र में अजित पवार के डिप्टी सीएम बनते ही शिंदे गुट और एनसीपी के बीच विवाद छिड़ गया है. शिंदे गुट के नेता और विधायक भरत गोगावले ने एनसीपी नेता सुनील तटकरे की बेटी अदिति को रायगढ़ के संरक्षक मंत्री के रूप में नामित करने का विरोध कर दिया है. उनका कहना है कि शिवसेना और बीजेपी के सभी 6 विधायक उन्हें मंत्री बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं. उनका दावा है कि रायगढ़ के संरक्षक मंत्री का पद शिवसेना के लिए आरक्षित था.

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अपने चाचा और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बगावत कर अजित पवार एनसीपी के 18 विधायकों के साथ 2 जुलाई को शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए थे. उन्हें महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम बनाया गया है. वहीं उनके साथ आए 8 विधायकों को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. इन्हीं में एक नाम अदिति तटकरे का भी शामिल है. अदिति शिंदे-फडणवीस-अजित पवार सरकार में पहली महिला मंत्री हैं.

इसी के बाद ही यह चर्चा शुरू हो गई थी कि शिवसेना के लिए आरक्षित किए गए मंत्री पद एनसीपी के नेताओं को दे दिए गए हैं, जिससे शिंदे गुट काफी नाराज  है. वहां सियायी गलियारों में यह भी चर्चा होने लगी कि एकनाथ शिंदे सीएम पद से इस्तीफा दे सकते हैं.

शिंदे बोले- नहीं दे रहा हूं इस्तीफा

सीएम एकनाथ शिंदे ने बुधवार को अपने विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई थी. इस दौरान उन्होंने साफ कहा- मैं इस्तीफा नहीं दे रहा हूं. 2024 में भी वही मुख्यमंत्री बनेंगे. मुझे पता है कि मेरे इस्तीफे की खबरें कौन प्लांट करा रहा है. साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि वह उन सभी 50 विधायकों को निराश नहीं करेंगे, जिन्होंने संकट काल में उनका समर्थन किया था.

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अजित का आना महज राजनीतिक समायोजन

अजीत पवार गुट के सरकार में शामिल होने पर सीएम शिंदे ने कहा कि आपमें से किसी को भी चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह अभी भी मुख्यमंत्री हैं और सरकार पर उनका पूरा कंट्रोल है. उन्होंने कहा कि सरकार में उनका आना महज एक राजनीतिक समायोजन है. यह समायोजन शरद पवार या उद्धव ठाकरे के बिना है, इसलिए अब वंशवाद की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है.

शिवसेना विधायकों में असंतोष नहीं: देसाई

शिंदे गुट के नेता शंभुराजे देसाई ने भी कहा था कि सीएम शिंदे के इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि विधायकों में कोई असंतोष नहीं है. शरद पवार की बहुत बड़ी पार्टी थी, लेकिन अब उसका आकार छोटा कर दिया गया है. वह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. 

अदिति को इसलिए मिली कैबिनेट में जगह

राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार बनने के बाद से उनकी सरकार में एक भी महिला मंत्री नहीं थी, जिसके लिए समय समय पर राज्य सरकार की आलोचना होती रहती थी. राजनीतिक विशेषज्ञों की माने, तो इसी बात का ध्यान रखते हुए अदिति तटकरे को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है. 

कई अहम पद संभाल चुकी हैं अदिति

अदिति 2017 से 2019 तक रायगढ़ जिला परिषद की अध्यक्ष रहीं. 30 दिसंबर, 2019 से 29 जून 2022 तक वह महाराष्ट्र राज्य सरकार में मंत्री रहीं. अदिति ने पर्यटन, सूचना और जनसंपर्क, कानून और न्यायपालिका सहित कई विभागों को संभाला है. 

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एनसीपी के कुल नौ विधायकों को बनाया गया है मंत्री

ये विधायक बनाए गए हैं मंत्री

छगन भुजबल: NCP में एक प्रमुख ओबीसी चेहरा.

दिलीप वलसे पाटिल: सात बार के विधायक, शरद पवार के करीबी सहयोगी.

हसन मुशरीफ: NCP का एक प्रमुख मुस्लिम चेहरा.

धनंजय मुंडे: बीड विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, विधान परिषद में विपक्ष के नेता थे, अजित पवार के बेहद करीबी.

आदिति तटकरे: श्रीवर्धन से विधायक और लोकसभा सांसद सुनील तटकरे की बेटी हैं, महाविकास आघाडी (MVA) सरकार में मंत्री थीं.

धर्मराव अत्राम: आदिवासी नेता, गढ़चिरौली शहर में अहेरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं.

संजय बनसोडे- लातूर से विधायक, महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री थे, अजित पवार के खास लोगों में से एक.

अनिल पाटिल: अमलनेर से विधायक.

पद ने मिलने से नाराज थे अजित

शरद पवार ने 10 जून को अपनी बेटी सुप्रिया सुले और पार्टी नेता प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष घोषित कर दिया था, लेकिन अजित पवार को कोई पद नहीं दिया था. इस फैसले के बाद से ही अजित काफी नाराज चल रहे थे. अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे बगावत कर सकते हैं. 

राजभवन जाने से पहले अजित पवार ने अपने घर NCP विधायकों की आपात बैठक बुलाई थी. इस बैठक में शरद पवार को छोड़कर NCP के लगभग सभी बड़े नेता मौजूद थे. बैठक में सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल भी शामिल थे. 

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