पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को नागपुर में होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होंगे. इसको लेकर लगातार राजनीतिक बयानबाजी हो रही है. कांग्रेस नेता लगातार इस पर आपत्ति जता रहे हैं तो वहीं बीजेपी इसका समर्थन कर रही है. वहीं अब इस मामले में शिवसेना ने भी कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लिया है. शिवसेना ने सामना में लिखा है कि अगर पूर्व राष्ट्रपति आरएसएस के कार्यक्रम में जाते हैं तो कांग्रेस के पेट में क्यों दर्द हो रहा है.
सामना के लेख में लिखा गया है कि आरएसएस कोई आतंकवादी संगठन नहीं है, अगर प्रणब मुखर्जी उनके कार्यक्रम में जाते हैं तो कांग्रेस के पेट में क्यों दर्द हो रहा है.
सामना में लिखा गया कि जिस कांग्रेस ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाया, आज वे ही दल उन्हें गालियां और श्राप दे रहे हैं. और वही जो बीजेपी 2012 में प्रणब मुखर्जी को हराने के लिए कमर कस रही थी वो आज उनकी आरती उतार रही है.
इसमें कहा गया है कि राजनीति जाए चूल्हे में, लेकिन प्रणब मुखर्जी देश के पूर्व राष्ट्रपति हैं. वे किस कार्यक्रम में जाएं या किसमें नहीं ये तय करना उनका ही अधिकार है. आरएसएस कोई लश्कर-ए-तैयबा, हिज्बुल मुजाहिद्दीन या अलकायदा जैसा संगठन नहीं है. वह एक हिंदुत्ववादी देशभक्ती संगठन है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सामना में कहा गया है कि सच तो यह है कि कई साल का राजनीतिक अनुभव होने के बावजूद प्रणब दा को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया था. और अब तांडव किया जा रहा है.
संघ ने कहा था- इसमें कोई चौंकाने वाली बात नहीं
लगातार हो रही बयानबाजी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी बयान सामने आया था. RSS की ओर से कहा गया है कि जो लोग संघ को जानते हैं उनके लिए ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं हैं. हमने अपने कार्यक्रमों में पहले भी देश के बड़े लोगों को बुलाया है, इसी प्रकार इस बार हमने प्रणब मुखर्जी को बुलाया है. और ये उनका बड़प्पन है कि उन्होंने हमारा न्यौता स्वीकार भी कर लिया है.
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर मुख्यालय जाएंगे. वह संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष में शामिल हो रहे स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे.
सूत्रों के मुताबिक वह नागपुर में दो दिन रहेंगे और 8 जून को वापस लौटेंगे. संघ शिक्षा वर्ग के शिविर समापन समारोह में मुखर्जी शामिल होंगे. वह इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. इस शिविर में करीब 700 स्वयंसेवक शामिल हो रहे हैं.