शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को फ्रीज करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई. दिल्ली हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सभी पक्षकारों को लिखित दलीलें देने के विकल्प के साथ फैसला सुरक्षित रख लिया है.
उद्धव ठाकरे की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारा पक्ष सुने बिना ही हमारी पार्टी का सिंबल सील कर दिया. आज तक के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट की एकल जज पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि इस मामले में प्रारंभिक आपत्ति नहीं सुनी जा सकती. वो हाईकोर्ट की इस टिप्पणी पर स्पष्टीकरण चाहते हैं. आखिर कोर्ट ऐसा कैसे कह सकती है?
सिब्बल ने कहा कि निर्वाचन आयोग के सामने भी उन्होंने इस पर आपत्ति उठाई थी. सुप्रीम कोर्ट में यह मामला लंबित है. जबकि उनकी दलील है कि दोनों दो दल हैं. शिवसेना में कोई गुट नहीं है. उद्धव ठाकरे गुट ने निर्वाचन आयोग के फैसले को सही ठहराने के हाईकोर्ट की एकल जज पीठ के आदेश को खंडपीठ के सामने चुनौती दी है. दिल्ली हाईकोर्ट की एकल जज पीठ ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह को फ्रीज करने के आदेश को बरकरार रखा था.
शिंदे ने फूंका था बगावत का बिगुल
बता दें कि एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने के लिए उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया था. शिवसेना के 55 में से 40 से अधिक विधायकों ने शिंदे का समर्थन किया था, जिसके कारण ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. शिवसेना के 18 लोकसभा सदस्यों में से 12 भी शिंदे के समर्थन में सामने आए हैं, जिन्होंने बाद में खुद को मूल शिवसेना का नेता होने का दावा किया है.
महाराष्ट्र में आमने-सामने हैं उद्धव और सीएम शिंदे
एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट से अलग होने के बाद बागी विधायकों की मदद से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. इस सरकार में एकनाथ शिंदे को सीएम और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था. महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ था. शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बताता है और पार्टी सिंबल धनुष-तीर पर अपना दावा कर रहा है.