औरंगाबाद महानगर पालिका चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अच्छे प्रदर्शन को लेकर शिवसेना ने असदुद्दीन औवैसी की पार्टी पर एक बार निशाना साधा है. ओवैसी बंधुओं के भेजे में घुसा है पाकिस्तान का हरा रंगः शिवसेना
पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि इन चुनावों में भगवा जरूर लहराया, लेकिन एआईएमआईएम की फड़फड़ाहट आने वालों में दिनों में खतरे के संकेत हैं. एमआईएम को मुस्लिमों के साथ दलितों का भी सर्मथन मिला यह अंबेडकर आंदोलन और हिंदुओ के लिए खतरा हो सकता है. ‘सामना’ के संपादक, ओवैसी के खिलाफ केस
लेख के मुख्य अंश...
1. एमआईएम को औरंगबाद के मुसलमानों से जो ताकत मिली है उसे चिंताजनक कहना पड़ेगा.
2. धर्म के नारे देते हुए मुसलमानों का वोट बैंक धर्म के नाम पर एक हो गया.
3. मुस्लिम वोटों के साथ दलित वोटों को फोड़ने की गंदी राजनीति करने की साजिश एमआईएम ने रची.
4. कुछ दलित उम्मीदवार इस पार्टी के टिकट पर चुनकर भी आए. यदि इसी तरह सहानुभूति दिखता रहा तो सामाजिक एकता ही नहीं, बल्कि अंबेडकरी आंदोलन के लिए भी ये खतरे की घंटी साबित हो सकती है.
5. एमआईएम जैसे जहरीले संगठन के 25 उम्मीदवार चुनकर आए ये निश्चित ही अच्छे लक्षण नहीं हैं.
6. महाराष्ट्र में एमआईएम जैसे धर्मांध दल इस्लाम के बैनर तले मुसलमान वोटों का एकत्रीकरण कर रहे हैं. ऐसे में हिंदुओं को इस चुनाव नतीजों को आंख खोलकर देखना पड़ेगा. मतभेद को भुलाकर हिंदुओं को एक सुत्रीय नीति तैयार करनी होगी. औरंगाबाद महानगर पालिका चुनाव का तो यही सबक है.