महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को दिनभर सियासी ड्रामा हुआ. बीजेपी की देवेंद्र फडनवीस सरकार ने ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल किया , जिसका शिवसेना और कांग्रेस ने विरोध किया. राज्यपाल से धक्का-मुक्की हुई तो सदन में 'वापस जाओ' के नारे लगे, वहीं गुरुवार को मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने बीजेपी को जमकर कोसा है.
बीजेपी के खिलाफ शिवसेना का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा है. शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार सुबह को मुंबई की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया.
जहां तक संपादकीय लेख की बात है, शिवसेना ने लिखा है कि बीजेपी ने संवैधानिक प्रथा-परंपराओं को कुचला है और ऐसी सरकार को आगे से सुशासन का नारा नहीं देना चाहिए.
'ये कैसा बहुमत!' शीर्षक से लिखे गए संपादकीय लेख में शिवसेना ने लिखा है, 'वर्तमान सत्ताधीशों ने जनता के लिए सरकार चलाने और स्वच्छ कामकाज का दावा किया था, लेकिन जिस तरह इसके विपरीत संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया उससे स्वच्छ सरकार चलाने के उनके दावे खोखले साबित हुए हैं.' लेख में फडनवीस सरकार पर प्रथाओं और परंपराओं का गला घोंटने का आरोप लगाया गया है.
विश्वासमत के प्रस्ताव पर नियम 23 के तहत वोटिंग के अधिकार की चर्चा करते हुए संपादकीय में लिखा गया है, 'सरकार जिस बहुमत का दावा कर रही है, उसे पटल पर लाने की हिम्मत क्यों नहीं दिखा पाई. महाराष्ट्र की जनता संवैधानिक परंपराओं और नियमों के उल्लंघन का जवाब चाहती है. भ्रष्ट आचरण का सारा मापदंड लांघकर जो सत्ता के शिखर पर टिके रहना चाहते हैं उन्हें कम से कम इसके बाद सुशासन का नारा नहीं देना चाहिए.'
शिवसेना ने फडनवीस सरकार को संबोधित करने हुए लेख में आगे लिखा है, 'विश्वासमत की धक्का गाड़ी छह महीनों तक आगे बढ़ाने के लिए आप यशस्वी हो सकते हैं, लेकिन जनता के दिल से आप विश्वास गंवा चुके हैं. पहले ही दिन जनता के विश्वास को गंवाने का गड़बड़झाला कर चुके हो, यह आपको ध्यान रखना होगा.'