मुंबई में मीट बैन को लेकर घमासान बढ़ता जा रहा है. एक ओर जहां जैन समुदाय इस पर बैन की मांग पर अड़ा है तो वहीं दूसरी ओर शिवसेना ने इसका विरोध किया है. पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि अहिंसा के नाम पर किसी को उसके खाने से दूर करना भी एक तरह की हिंसा है.
ठाकरे ने लिखा, 'पहले सिर्फ रूढ़िवादी मुस्लिम ही धर्म के नाम पर परेशान करते थे. अब अगर अल्पसंख्यक जैन समुदाय भी ऐसी मांगें करेगा तो भगवान ही उन्हें बचा सकता है .' उन्होंने कहा मुंबई में दंगों के दौरान मराठियों ने ही जैन और गुजरातियों को बचाने के साथ उनके रोजगार को भी बचाया था. उन्हें सिर्फ हिंदुओं के नाम पर ही बचाया गया था, क्योंकि हम रुढ़िवादियों के साथ 'जैसे को तैसा' वाले सिद्धांत पर जवाब देते हैं.
ठाकरे ने दे डाली चेतावनी
शिवसेना प्रमुख ने चेतावनी देते हुए कहा, 'जैन समुदाय के लोगों को ऐसी बेकार की मांगें उठाना बंद कर देना चाहिए, यह उनके लिए अच्छा होगा. मुंबई की ज्यादातर बिल्डर लॉबी जैन है. उनकी डील में काली कमाई भी होती है, इससे सभी वाकिफ हैं. पर्यूषण पर्व के दौरान क्या वे काली कमाई करना बंद कर देंगे. पर्यूषण पर्व सालों से मनाया जाता रहा है लेकिन पहले कभी मीट का विरोध नहीं हुआ तो अब क्यों?'
आखिर कहां जाएंगे जैन?
उद्धव ने संपादकीय में लिखा कि जैनों की आबादी करीब 45 लाख है, लेकिन वे अपनी बात मनवाने की जिद इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अर्थव्यवस्था पर उनका दखल है. लेकिन वे अपने पैसे अपने पास रखें, यह एक प्यार भरी चेतावनी है. यह शिवाजी का महाराष्ट्र है और ऐसे लोगों से निपटना हमें आता है. रुढ़िवादी मुस्लिमों के पास कम से पाकिस्तान है, जहां वह जाकर बस सकते हैं, लेकिन यदि जैनों का रवैया भी रुढ़िवादी रहा तो वह कहां जाएंगे? ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा, 'जैनों के साम्राज्य को जमींदोज करने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. धर्म के नाम पर कुछ भी थोपा नहीं जा सकता.'
'जियो और जीने दो'
आखिर में शिवसेना प्रमुख ने लिखा कि त्योहार के नाम पर महाराष्ट्र को बांटने का काम न करें. जियो और जीने दो. जिसे जो खाना है खाने दो. अहिंसावादी धर्म के नाम पर किसी की निजता पर दखल मत दीजिए.
MNS party workers to sell mutton at Agar Bazar in Dadar (Mumbai) in a protest against 4-day meat ban in the state.
— ANI (@ANI_news) September 10, 2015