प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ किया है, जिसमें पीएम मोदी ने आज नासिक में गोदावरी के किनारे स्थित श्री कालाराम मंदिर में पूजा अर्चना की. श्री कालाराम मंदिर नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ-सफाई का महत्व बताते हुए मंदिर परिसर में बाल्टी और पोछा लेकर सफाई अभियान चलाया. उन्होंने लोगों से भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा (22 जनवरी) तक इसी तरह मंदिरों की साफ-सफाई करने की आपील की.
मंदिर में सफाई अभियान चलाने के बाद पीएम मोदी ने नासिक में लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि 22 जनवरी तक हम सभी देश के तीर्थ स्थानों और मंदिरों की साफ-सफाई करें, स्वच्छता का अभियान चलाएं. उन्होंने आगे कहा,' आज मुझे कालाराम मंदिर में सफाई करने का सौभाग्य मिला है. राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सभी तीर्थ स्थानों में स्वच्छता अभियान चलाएं.'
रामायण से जुड़े स्थानों में पंचवटी सबसे विशेष और महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है क्योंकि रामायण की कई महत्वपूर्ण घटनाएं यहीं घटी थीं. भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने पंचवटी क्षेत्र में स्थित दंडकारण्य वन में कुछ वर्ष बिताए थे. पंचवटी नाम का अर्थ है 5 बरगद के पेड़ों की भूमि.
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने यहां अपनी कुटिया स्थापित की थी क्योंकि 5 बरगद के पेड़ों की उपस्थिति ने इस क्षेत्र को शुभ बना दिया था. अयोध्या में राम मंदिर के भव्य 'प्राण-प्रतिष्ठा' समारोह से ठीक 11 दिन पहले पीएम मोदी का इस स्थान पर आना अधिक महत्व रखता है क्योंकि भगवान राम के जीवन में इसका बहुत महत्व है.
श्री कालाराम मंदिर एक पुराना हिंदू मंदिर है जो महाराष्ट्र के नासिक शहर के पंचवटी क्षेत्र में स्थित है. पंचवटी में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने वनवास का समय बिताया था.
यह नासिक का सबसे खास मंदिर माना जाता है. कालाराम मंदिर भगवान राम को समर्पित है, जिन्हें गर्भगृह के अंदर काले पत्थर की मूर्ति के रूप में स्थापित किया गया है. इस मंदिर में भगवान श्रीराम के साथ माता सीता और लक्ष्मण जी मूर्ति भी स्थापित है.
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सरदार रंगारू ओढेकर नाम के शख्स के सपने में भगवान राम आए थे. काले रंग की मूर्ति के गोदावरी नदी में तैरते देखा था. सुबह-सुबह नदी किनारे पहुंचे और सचमुच में श्रीराम की कालेरंग की मूर्ति मौजूद थी. इसे लाकर देवालय में स्थापित किया. इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1782 में करवाया गया था. इससे पहले यहां पर लकड़ी से निर्मित मंदिर था. इस मंदिर के निर्माण में 12 साल लगे थे.