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भारत विरोधी नारा विवाद: परिवार का दावा- आरोपी बेटा मदरसे में पढ़ता था, क्रिकेट देखता ही नहीं

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार हुए 15 वर्षीय लड़के और उसके परिवार ने अब सफाई दी है. परिवार का कहना है कि उनका बेटा क्रिकेट नहीं देखता, न ही उसे इस खेल में कोई रुचि है. वह एक मदरसे में पढ़ाई करता है और इस मामले में उसे फंसाया गया है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार हुए 15 वर्षीय लड़के और उसके परिवार ने अब सफाई दी है. परिवार का कहना है कि उनका बेटा क्रिकेट नहीं देखता, न ही उसे इस खेल में कोई रुचि है. वह एक मदरसे में पढ़ाई करता है और इस मामले में उसे फंसाया गया है.

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जानिए क्या है पूरा मामला?
23 फरवरी को मालवन के तारकर्ली रोड इलाके में लड़के, उसके पिता (जो कबाड़ का व्यवसाय करते हैं) और उसकी मां के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. आरोप था कि भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान लड़के ने 'देश विरोधी नारे' लगाए थे. शिकायत के बाद लड़के के माता-पिता को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि लड़के को बाल न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया.

परिवार का दावा - 'बेटे को साजिश के तहत फंसाया गया'
लड़के और उसके परिवार का कहना है कि कुछ लोगों ने जानबूझकर उसे फंसाया. लड़के ने बताया कि वह मस्जिद में रात की नमाज पढ़ने के बाद घर लौट रहा था, तभी एक व्यक्ति ने उसका नाम पूछकर रोक लिया. डर के कारण लड़के ने गलत नाम बताया, लेकिन फिर उस व्यक्ति ने उससे क्रिकेट मैच के बारे में पूछा.

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लड़के ने बताया, 'मैंने कहा कि मुझे क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं है और मैं मैच नहीं देखता. फिर उस व्यक्ति ने पूछा कि भारत-पाकिस्तान मैच में मैं किसे चुनूंगा. मैंने कहा - भारत. इसके बाद उस व्यक्ति ने हंगामा किया और मेरे खिलाफ झूठा आरोप लगाया कि मैंने देश विरोधी नारे लगाए हैं.' इसके बाद वहां भीड़ इकट्ठा हो गई, मुझे थप्पड़ मारे गए और मुझे घर तक घसीटकर ले जाया गया. 

परिवार पर टूटा कहर - दुकान और घर हुए ध्वस्त
इस घटना के बाद नगर निगम ने लड़के के परिवार की दुकान और घर को अवैध निर्माण बताते हुए बुलडोजर चला दिया. लड़के के चाचा के गोदाम को भी स्थानीय लोगों की शिकायत पर तोड़ दिया गया, जिससे लाखों रुपये का कबाड़ बर्बाद हो गया.

लड़के के पिता ने कहा, 'हम यहां 20 साल से रह रहे हैं. हम सिर्फ अपने परिवार और काम में लगे रहते हैं. हमें किसी विवाद में पड़ने की आदत नहीं है. लेकिन इस घटना के कारण हमारी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई.'

गांवों में बाहरी लोगों पर कड़ी निगरानी
इस घटना के बाद मालवन के कई गांवों की ग्राम पंचायतों ने फैसला लिया कि बाहरी राज्यों के लोग बिना अनुमति के यहां व्यापार नहीं कर सकेंगे. त्र्यंबक गांव की ग्राम पंचायत ने तो बाकायदा बैनर लगाकर घोषणा कर दी कि बाहरी राज्यों से आए कबाड़ी, सब्जी विक्रेता, फेरीवाले या स्ट्रीट वेंडर बिना अनुमति के व्यापार नहीं कर सकते. हालांकि, प्रशासन का कहना है कि यह फैसला किसी खास समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि सुरक्षा के लिए लिया गया है.

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परिवार की मांग - निष्पक्ष जांच हो
लड़के के पिता का कहना है कि इस मामले में उनका बेटा निर्दोष है और उनके परिवार को गलत तरीके से निशाना बनाया गया है. उन्होंने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि सच्चाई सामने आ सके.

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