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माफी, FIR, विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की मांग... औरंगजेब पर बयान के बाद मुश्किल में अबू आजमी

महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने कहा था कि औरंगज़ेब एक क्रूर शासक नहीं था और उसने कई मंदिरों का निर्माण कराया था. उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र में सियासी भूचाल आ गया है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने उनकी विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की मांग की है. जबकि कांग्रेसी सांसद ने कहा कि औरंगज़ेब के शासनकाल में भारत की GDP पूरी दुनिया में शीर्ष पर थी.

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अबू आजमी. (फाइल फोटो)
अबू आजमी. (फाइल फोटो)

समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अबू आजमी के औरंगजेब को लेकर दिए बयान पर राजनीति गरमाती जा रही है. उन्होंने कहा था कि औरंगज़ेब एक क्रूर शासक नहीं था और उसने कई मंदिरों का निर्माण कराया था. फिल्मों के जरिए मुगल बादशाह की विकृत छवि बनाई जा रही है. इस बयान के लिए सपा विधायक के खिलाफ FIR दर्ज की गई है तो डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने उनकी विधानसभा की सदस्यता को रद्द करने की मांग की है. 

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वहीं, विवाद को बढ़ता देख अबू आज़मी ने अपने इस बयान के लिए माफी मांग ली है. हालांकि, इस सबके बीच कांग्रेस के लोकसभा सांसद इमरान मसूद ने भी ये बयान दिया है कि औरंगज़ेब महान था और औरंगज़ेब के शासनकाल में भारत की GDP पूरी दुनिया में शीर्ष पर थी. अब हम आपको इस रिपोर्ट के जरिए समझाएंगे कि भारत में औरंगज़ेब के इतने Fan (प्रशंसक) क्यों हैं?

छावा फिल्म के बाद छिड़ा विवाद

दरअसल, औरंगज़ेब को लेकर ये सारा विवाद 14 फरवरी को रिलीज हुई फिल्म छावा से शुरू हुआ है. फिल्म में दिखाया गया है कि औरंगज़ेब ने छत्रपति सम्भाजी महाराज को 40 दिनों तक भयानक यातनाएं देने के बाद उनकी क्रूरता से हत्या कर दी थी और उनकी पत्नी और बेटे को बंधक बना लिया था.

इस फिल्म को देखकर भारत के बहुत सारे लोग ये कह रहे हैं कि उन्हें इस इतिहास के बारे में स्कूल और कॉलेजों में क्यों नहीं पढ़ाया गया और वो अब तक भारत के सही इतिहास से अंजान क्यों थे.

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भारत के बहुत सारे लोग पहले मानते ही नहीं थे कि औरंगज़ेब क्रूर था या कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की हत्याएं हुई थी या केरल में गैर मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन हुआ था. जब इन सारे मुद्दों पर फिल्में बनीं, तब इस पर लोग जागरुक हुए और इन फिल्मों की सफलता से ये बात भी पता चलती है कि भारत के लोग अपने सही इतिहास को जानना चाहते हैं. इसलिए जो इतिहास सरकारों ने उन्हें स्कूल और कॉलेजों में नहीं पढ़ाया, उसे जानने के लिए वो अपने पैसे खर्च कर रहे हैं और सिनेमा हॉल में जाकर इन फिल्मों को देख रहे हैं.

The New York Times की एक रिपोर्ट के मुताबिक औरंगज़ेब के 49 वर्षों के कार्यकाल में 46 लाख और हर साल लगभग एक लाख लोग मारे गए थे और इनमें ज्यादातर हिन्दू थे.

औरंगजेब ने लगाया जजिया टैक्स

भारत का इतिहास ऐसी हजारों घटनाओं से भरा पड़ा है, जो ये बताती हैं कि औरंगज़ेब सबसे क्रूर मुगल शासक था और वो हिन्दुओं से नफरत करता था. वर्ष 1679 में औरंगज़ेब ने हिन्दुओं पर जजिया टैक्स लगा दिया था, जो सिर्फ़ हिन्दू देते थे और मुसलमानों को इससे पूरी तरह छूट मिली हुई थी. छत्रपति शिवाजी महाराज ने जजिया टैक्स के विरोध में औरंगज़ेब को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने ये कहा था कि औरंगज़ेब एक ऐसा राजा है जो अपना खजाना गरीब हिन्दुओं को लूट कर भरना चाहता है.

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छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने इस पत्र में औरंगज़ेब की सांप्रदायिक नीतियों का भी विरोध किया था, लेकिन इसे विडंबना ही कहेंगे कि आजादी के लगभग 75 वर्षों तक छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में एक ज़िले का नाम औरंगाबाद था जो औरंगज़ेब के नाम पर ही पड़ा था.

छत्रपति संभाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे और उन्होंने अपने अंतिम क्षणों में छत्रपति संभाजी महाराज से औरंगज़ेब को लेकर कई बातें कही थीं. उनका कहना था कि उन्होंने जीवित रहते हुए वो सब कुछ किया जो मुगल साम्राज्य और औरंगज़ेब के अत्याचार को रोकने के लिए ज़रूरी था. लेकिन अब उनकी मृत्यु के बाद ये लड़ाई उनके पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज को अकेले लड़नी होगी. और ये रास्ता उनके लिए बहुत कठिन होगा. उन्होंने ये भी कहा था कि छत्रपति संभाजी महाराज को औरंगज़ेब से सावधान रहना होगा और बाद में यही हुआ.

'धोखे से छत्रपति संभाजी महाराज को बनाया बंदी'

औरंगज़ेब ने छल और धोखे से छत्रपति संभाजी महाराज को बंदी बनाया. उन पर इस्लाम धर्म को अपनाने के लिए दबाव बनाया. उन्हें 40 दिनों तक भयंकर यातनाएं दीं. गर्म लोहे से उनकी आंखों को बाहर निकाल लिया. गर्म चिमटों से उनके शरीर की खाल को उधेड़ दिया. उनके नाखूनों को उखाड़ा गया और धीरे धीरे उनके हाथों और पैरों को काटा गया। उनका अपमान करने के लिए उन्हें जंजीरों में बांधकर उनका जुलूस निकाला गया और उन्हें ये कहा कि अगर छत्रपति संभाजी महाराज इस्लाम धर्म को अपना लेंगे तो औरंगज़ेब उनकी जान बख्श देगा. संभाजी महाराज पराक्रम ऐसा था कि औरंगज़ेब उनकी आंखों में आंखें डालकर बोलने से डरता था.

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'गलत है गौरी शंकर के निर्माण का दावा'

औरंगज़ेब के प्रशंसक दावा करते हैं कि उसने कई हिन्दू मन्दिरों का निर्माण कराया था और इनमें दिल्ली के चांदनी चौक का गौरी शंकर मन्दिर भी शामिल है. वहीं, कुछ इतिहासकार दावा करते हैं कि इस मन्दिर का निर्माण औरंगज़ेब के दरबारी अपा गंगाधर ने कराया था और इस मन्दिर के निर्माण के लिए औरंगज़ेब ने खुद अपने पास से पैसे दिए थे. लेकिन बहुत सारे इतिहासकार इन तथ्यों को गलत बताते हैं और ये कहते हैं कि इस मन्दिर के निर्माण में औरंगज़ेब की कोई भूमिका नहीं थी. ये मन्दिर वर्ष 1761 में बना था. जबकि औरंगज़ेब की मृत्यु वर्ष 1707 में 54 साल पहले ही हो गई थी.

औरंगजेब ने किया 49 सालों तक राज

सच्चाई ये है कि वर्ष 1658 से 1707 तक औरंगज़ेब ने भारत के 15 करोड़ लोगों पर लगभग 49 साल तक राज किया. और इस दौरान उसके आदेश पर कई मन्दिरों को तोड़ा गया. इनमें मथुरा का केशव राय मन्दिर भी था, जिसे वर्ष 1670 में तोड़ने का आदेश दिया गया था. इसके अलावा औरंगजेब ने अपने कार्यकाल में गुजरात के सोमनाथ मन्दिर को भी दो बार तोड़ने का आदेश दिया. पहली बार 1659 में और दूसरी बार 1706 में.

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'चित्तौड़ में ध्वस्त किए 63 मन्दिर'

इसके अलावा एक बार जब औरंगज़ेब चित्तौड़ पहुंचा तो उन्होंने वहां कई मन्दिरों में हिन्दुओं को पूजा करते हुए देखा, जिसके बाद उसने चित्तौड़ के 63 मन्दिरों को ध्वस्त करा दिया.

इसके अलावा औरंगजेब के ही आदेश पर सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर का सिर तन से जुदा किया गया था. औरंगजेब के सैनिक जब कश्मीरी पंडितों पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव रहे थे, तब गुरु तेग बहादुर ने इन कश्मीरी पंडितों की मदद की थी. इस बात से उस समय औरंगजेब इतना क्रोधित हो गया था कि उसने गुरु तेग बहादुर को बंदी बना लिया और फिर उनका शीश धड़ से अलग करवा दिया. गुरु तेग बहादुर को जिस जगह मौत की सजा दी गई थी, दिल्ली में आज उस स्थान गुरुद्वारा सीस गंज साहिब है.

'जोधपुर में तोड़े गए कई मन्दिर'

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद वर्ष 1707 से 1710 के बीच एक पुस्तक लिखी गई , जिसका नाम 'मासिर-ए-आलमगीरी' है. इस किताब में लिखा है कि औरंगज़ेब ने जोधपुर में तोड़ी गई हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाओं के मलबे को दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफन करा दिया था.

औरंगज़ेब चाहता था कि जब मुसलमान दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए आएं तो उनके कदम सबसे पहले उन सीढ़ियों पर पड़ें, जिनके नीचे हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं और मंदिरों का मलबा दफ्न हैं और ये बात एक 314 साल पुरानी पुस्तक में लिखी है. औरंगज़ेब के प्रशंसक ये भी कहते हैं कि अगर वो हिन्दू विरोधी था तो उसकी सेना और दरबार में हिन्दू राजा और मिलकीयत क्यों थे?

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आपको बता दें कि औरंगजेब प्रशासन में 33 मनसबदार गैर-मुस्लिम और जय सिंह जैसे राजपूत थे, जिन्हें शाही संरक्षण प्राप्त था.

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