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श्रीनगर और अयोध्या से महाराष्ट्र में हिंदुत्व की राजनीति को धार देने में जुटे एकनाथ शिंदे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक दिन पहले रविवार को जम्मू कश्मीर में शिवसेना के पदाधिकारियों के साथ बड़ी बैठक की है. इसमें 15 राज्यों के पदाधिकारियों को संगठन मजबूत करने का मंत्र दिया है. श्रीनगर में बैठक के बाद शिंदे ने इसी महीने के अंत में अयोध्या पहुंचने का भी प्लान बनाया है. जानकारों का कहना है कि शिंदे गुट महाराष्ट्र में हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने में लगा है.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक बार फिर अयोध्या दौरे पर पहुंचेंगे. (फाइल फोटो-PTI)
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक बार फिर अयोध्या दौरे पर पहुंचेंगे. (फाइल फोटो-PTI)

लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जम्मू कश्मीर के दौरे पर पहुंचे हैं. उनके इस दौरे को लेकर कयासबाजी का दौर भी शुरू हो गया है. राजनीति के जानकार शिंदे के नेक्स्ट प्लान को लेकर अलग-अलग एनालिसिस कर रहे हैं. लेकिन, असल मकसद क्या है- यह कुछ-कुछ साफ होते दिखने लगा है. शिंदे ने श्रीनगर में अपने संगठन शिवसेना के 15 राज्य प्रमुखों की बैठक बुलाई थी. उसके बाद उन्होंने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल से मुलाकात की और महाराष्ट्र भवन बनाने के लिए जमीन देने का आग्रह किया. जानिए, महाराष्ट्र की राजनीति में क्या हैं इसके मायने...

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रविवार को कश्मीर के श्रीनगर में 15 राज्यों के अपनी पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने उनसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद से शिवसेना को मजबूत करने और संगठन का विस्तार करने के लिए काम करने को कहा. दोनों दल का महाराष्ट्र में गठबंधन है और सरकार चला रहे हैं.

'अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार पर जोर'

शिंदे की तरफ से जो बयान जारी किया गया है, उसके मुताबिक, श्रीनगर में हुई बैठक में बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य राज्यों से पार्टी के पदाधिकारी शामिल हुए. शिंदे ने उपस्थित लोगों से अन्य राज्यों में पार्टी के विस्तार करने की दिशा में काम करने के लिए कहा. 

'जम्मू कश्मीर के माहौल में आया बदलाव'

पार्टी प्रमुख शिंदे ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी मुलाकात की और श्रीनगर में महाराष्ट्र भवन के लिए जमीन भी मांगी है. सीएम ने कहा, महाराष्ट्र भवन सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा. अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर के माहौल में काफी बदलाव आया है. कई विकास कार्य यहां हो रहे हैं. रोड बन रहे हैं और भारी संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं.

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अयोध्या

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'2024 में फिर जीतेगी बीजेपी, टूटेंगे रिकॉर्ड'

उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर के लोगों में यह विश्वास जगा है कि उन्हें सभी सुविधाएं दी जा रही हैं. लोगों को रोजगार मिल रहा है. पहले यह बदलाव नहीं था. उन्होंने यह भी कहा, अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ जीतकर आएगी. पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे.

'श्रीनगर में क्यों रखी शिंदे ने बैठक, क्या मायने हैं?'

जानकारों का कहना है कि शिंदे गुट ने शिवसेना की बैठक के लिए रणनीतिक तौर पर श्रीनगर का चुनाव किया है. उद्धव ठाकरे से बगावत के बाद पार्टी के सामने खुद को साबित करने और संगठन को मजबूत करने का संकट है. इसे लेकर संगठन स्तर पर मजबूती के लिए प्लान किए जा रहे हैं और आने वाले चुनाव में शिंदे गुट को खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है. पार्टी की छवि भी कोर हिंदुत्व से जुड़ी है. महाराष्ट्र में शिंदे गुट का उद्धव गुट की शिवसेना से मुकाबला है. दोनों गुटों को हिंदुत्व के मुद्दे पर मुखर देखा जाता है. ऐसे में शिंदे गुट की कोशिश है कि वो अब उद्धव गुट के वोटबैंक में भी सेंध लगाए और हिंदू वोटर्स को अपने पक्ष में खड़ा कर सके. इसके लिए उसे बीजेपी गठबंधन का भी बड़ा सहारा मिलने की उम्मीद है. 

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'जम्मू कश्मीर में दिखेगी महाराष्ट्र की खुशबू?'

वहीं, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के माहौल में बदलाव आया है. शिंदे गुट ने संगठन की बैठक के लिए श्रीनगर को इसलिए चुना है, ताकि महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों में एक बड़ा संदेश दिया जा सके. इतना ही नहीं, श्रीनगर में महाराष्ट्र भवन की कवायद भी इसी दिशा में एक बड़ा कदम है. जम्मू कश्मीर आने वाले लोगों को महाराष्ट्र की कला, संस्कृति और भोजन को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही पर्यटन गतिविधियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा सकेगा.

अयोध्या

'हिंदुत्व के मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है शिवसेना'

शिंदे गुट की शिवसेना अपनी कोर छवि को जिंदा रखना चाहती है. हिंदुत्व को लेकर शुरू से ही शिवसेना को मुखर देखा गया है. मुख्यमंत्री बनने के बाद अप्रैल 2022 में एकनाथ शिंदे ने अपने विधायकों के साथ अयोध्या का दौरा किया था. उन्होंने राम लला के दर्शन-पूजन किए थे. सरयू नदी में स्नान और आरती भी की थी, इसे लेकर महाराष्ट्र में सियासत भी गरमाई थी. उद्धव गुट ने अपनी नकल करने का आरोप लगाया था. उससे पहले उद्धव गुट ने भी अयोध्या का दौरा किया था. दरअसल, अब तक अयोध्या में बीजेपी और उसकी विचारधारा से जुड़े नेता ही दिखाई देते थे. वहां अब वे पार्टियां और नेता भी हाजिरी लगाते दिख रहे हैं जो अब तक अयोध्या जाने या खुद को राम भक्त बताने से परहेज करते रहे रहे. ऐसे में कोर हिंदुत्व की छवि वाली पार्टियों को फ्रंट फुट पर आकर मोर्चा संभालने की चुनौती मिलने लगी है.

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'हम हिंदुत्व के लिए लड़ रहे हैं'

यही वजह है कि शिंदे ने श्रीनगर में पहले पार्टी पदाधिकारियों की बैठक की और अब फिर अपनी हिंदुत्‍ववादी छवि मजबूत करने के लिए अयोध्या दौरे की प्लानिंग की है. जल्द ही शिंदे चौथी बार अयोध्या में रामलला के दर्शन करने पहुंचेंगे. वे यहां रामलला मंदिर निर्माण में दरवाजे के लिए लकड़ी भेंट करेंगे. इससे पहले वे शिवसेना नेता के तौर पर 25 नवंबर 2018 को अयोध्या आए थे. उसके बाद मार्च 2022 को भी अयोध्या आए थे. तीसरी बार सीएम बनने पर 9 अप्रैल 2023 को अयोध्या पहुंचे थे. शिंदे गुट का कहना है कि MVA सरकार में आने के बाद उद्धव ठाकरे ने हिंदुत्व की विचारधारा को पीछे छोड़ दिया है. उन्होंने एक बयान में कहा, लोग जानते हैं कि हम कौन हैं और हम किसके लिए लड़ रहे हैं. हम हिंदुत्व के लिए लड़ रहे हैं. हमें सत्ता पाने का कोई लालच नहीं है.

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'बालासाहेब का सपना पूरा हो गया'

अप्रैल में अयोध्या पर पहुंचे एकनाथ ने कहा था, बीजेपी और शिवसेना की विचारधारा एक ही है. दो दिन से सभी कार्यकर्ता अयोध्या में मौजूद हैं. राम मंदिर हमारी श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है. हजारों की संख्या में राम भक्त यहां आए हैं. 500 साल के इंतजार के बाद बाबासाहेब ठाकरे और करोड़ों भक्तों का सपना पूरा हो गया है. भगवान राम की कृपा से हमें पार्टी का नाम और धनुष बाण मिला है, इसलिए हम सभी मंत्रियों के साथ यहां रामलला का आशीर्वाद लेने पहुंचे हैं. 

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'अयोध्या राजनीति का नहीं, आस्था का विषय'

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा, अयोध्या यात्रा को मैं कभी जिंदगी में भूल नहीं पाऊंगा. पहले में नियोजन करने आता था, आज कार्यकर्ताओं ने यात्रा का नियोजन किया है. जो इतना भव्य आयोजन हुआ. आज हमारी पूरी सरकार यहां मौजूद है. मेरे सहयोगी उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी आए, संत महंतों का आशीर्वाद और सरयू आरती का भी दर्शन होगा. राम मंदिर और अयोध्या बीजेपी और शिवसेना के लिए राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि हमारी आस्था का विषय है.

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अयोध्या

'महाराष्ट्र में उद्धव गुट में सेंध लगाने की प्लानिंग'

शिंदे के बयानों से साफ है कि पार्टी हिंदुत्व की छवि के साथ आगे बढ़ना चाहती है. इसके साथ ही उद्धव गुट में भी सेंध लगाने की पूरी प्लानिंग की जा रही है. यही वजह है कि कश्मीर के मुद्दे पर शुरू से मुखर विचारधारा के बहाने शिंदे गुट ने पार्टी की बैठक के लिए श्रीनगर का चुनाव किया है. पार्टी जम्मू कश्मीर में अपने संगठन को भी खड़ा करना चाहती है. आने वाले दिनों में शिवसेना की इस बैठक का असर देखने को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

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सावरकर के बहाने भी हिंदुत्व को साध रहे शिंदे

महाराष्ट्र में स्वतंत्रता आंदोलन के सेनानी और राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर को लेकर भी शिंदे और उद्धव गुट आमने-सामने देखे जाते हैं. दोनों ही गुट वीर सावरकर के बहाने हिंदू वोटबैंक को साधने की कोशिश में रहते हैं. 28 मई को सावरकर की 140वीं जयंती भी राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर मनाई. शिंदे सरकार ने जयंती के दिन 'वीर सावरकर गौरव दिन' मनाने का फैसला किया. बांद्रा-वर्सोवा समुद्र सेतु का नामकरण भी 'वीर सावरकर' के नाम पर करने का फैसला किया. अलग-अलग क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले लोगों को 'वीर सावरकर वीरता पुरस्कार' देने का फैसला किया. वहीं, उद्धव गुट भी सावरकर को सक्रिय देखा जाता है. एमवीए का हिस्सा होने के बावजूद उद्धव गुट को कई बार कांग्रेस और राहुल गांधी को चेतावनी देते गया. उद्धव गुट ने साफ किया है कि कांग्रेस सावरकर को लेकर बयानबाजी बंद करे.

अयोध्या

क्या है शिंदे का अयोध्या का नेक्स्ट प्लान...

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में महाराष्ट्र सरकार भी योगदान देना चाहती है. महाराष्‍ट्र के चंद्रपुर जंगल की सागौन की लकड़ियों का इस्‍तेमाल राम मंदिर के दरवाजे और खिड़कियां बनने में होगा. सीएम एकनाथ शिंदे जल्द ही अपनी पूरी टीम के साथ अयोध्‍या आएंगे. वे इन लकड़ियों को यूपी सरकार को सौंपेंगे. इसके लिए अयोध्‍या में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. इसकी तैयारी के लिए 16 सदस्‍यीय गठित की गई है. इसमें यूपी के बीजेपी और महाराष्‍ट्र के शिंदे शिवसेना के प्रतिनिधियों को रखा गया है. ये कार्यक्रम 26 जून से 30 जून के बीच होगा. इसकी तिथि फिलहाल अभी फाइनल नहीं की गई है.

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'एक साल पूरा करने जा रही शिंदे सरकार'

बता दें कि शिंदे और शिवसेना के 39 विधायकों ने पिछले साल जून में उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिससे महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी. बाद में शिंदे और बागी विधायकों ने भाजपा से हाथ मिला लिया और सरकार बनाई. चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को शिवसेना पार्टी का नाम और धनुष और तीर का चुनाव चिह्न आवंटित किया है. शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार इस महीने के अंत में एक साल पूरा कर लेगी. 

 

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