scorecardresearch
 

SC का आदेश- मराठा आरक्षण मामले में नहीं होगा कोई बदलाव, अगले साल से होगा लागू

मेडिकल में मराठा छात्रों के एडमिशन में रिजर्वेशन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई बदलाव न करने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल पिछले आदेश में किसी तरह के कोई बदलाव की जरूरत नहीं है.

Advertisement
X
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Advertisement

मेडिकल में मराठा छात्रों के एडमिशन में रिजर्वेशन मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई बदलाव न करने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल पिछले आदेश में किसी तरह के कोई बदलाव की जरूरत नहीं है.

इसके चलते अब महाराष्ट्र में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों पर प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी कोटा अभी लागू नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने अपने 30 मई के फैसले को कायम रखते हुए कहा कि इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. 30 मई को दिए आदेश में कोर्ट ने कहा था कि ये कोटा अगली बार के एडमिशन में लागू किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि संस्थानों में दाखिले की प्रक्रिया नवंबर से शुरू है और आरक्षण से जुड़ा प्रावधान बाद में आया है. इसलिए इसे पहले से लागू नहीं किया जाएगा.

Advertisement

इस मामले में याचिकाकर्ता छात्रों की ओर से संजय हेगड़े ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से जारी मराठा रिजर्वेशन ऑर्डिनेंस का अनुपालन हो क्योंकि दाखिले की प्रक्रिया ऑर्डिनेंस की अवधि के दौरान ही 2 नवंबर 2018 में शुरू हो गई थी. इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार की तरफ से एआर नाडकर्णी ने कहा कि ऑर्डिनेंस जारी होने के बाद उसे मुंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और ये मामला लंबित है. उन्होंने कहा कि मराठा कोटा और सवर्णों के लिए आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग का कोटा अलग-अलग है.

महाराष्ट्र में PG मेडिकल दाखिलों का मामला

बता दें कि इस फैसले से 25 छात्र प्रभावित होने वाले हैं. इस वर्ष सवर्ण आरक्षण का लाभ आर्थिक तौर पर पिछड़े सवर्णों को नहीं मिल पाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के छात्रों की उस अर्जी को खारिज किया जिसमें काउंसलिंग में मूल विकल्प को बदलने की अनुमति की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका चार जून का आदेश स्पष्ट है और इसमें किसी तरह के संशोधन या स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है.

दरअसल छात्रों के एक समूह ने 4 जून के आदेश को संशोधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिसमें छात्रों को आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग कोटे के समाप्त होने के बाद आयोजित होने वाली काउंसलिंग के नए दौर में अपने मूल विकल्पों को बदलने से रोक दिया गया था. 30 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि महाराष्ट्र में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों पर प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी कोटा अभी लागू नहीं किया जा सकता.

Advertisement
Advertisement