राम मंदिर निर्माण को लेकर द्वारकापीठ शंकराचार्य और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आने वाले समय में आमने सामने देखने को मिलेंगे. शंकराचार्य स्वरूपानंद स्वरस्वती ने दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद राम मंदिर का निर्माण चारों शंकराचार्य जनता के पैसे से करेंगे. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश में सिविल कोड लागू करने की भी मांग की है.
राम मंदिर निर्माण संघ परिवार का सबसे बड़ा सपना है और इसी के लिए वर्षों से अयोध्या में आंदोलन होते रहे हैं. यहां तक कि स्वयं सेवक को लेकर विवादित ढांचा तक गिरा दिया, लेकिन अब संघ के सामने मैदान में शंकराचार्य खड़े होंगे.
देश में जाति और धर्म के नाम पर बने कानूनों को खत्म करने की मांग सिविल कोड के नाम पर वर्षों से होती रही है. चुनावी घोषणा पत्रों में भी इसका जिक्र आता रहा है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद हिंदू धर्माचार्यों ने सिविल कोड को लागू करने की मांग की है.
नागपुर में एक कार्यक्रम में बोलते हुए शंकराचार्य ने साईं की शताब्दी मनाने पर प्रतिबंध लगाने की राज्य सरकार से मांग की. दूसरी ओर साईं गीता, साईं पुराण का विरोध करते हुए साईं कुरान लिखने की चुनौती भी दी.
गौरतलब है कि साईं की शताब्दी मनाने की तैयारी चल रही है. राज्य सरकार भी इस शताब्दी उत्सव पर करोड़ों खर्च करने के संकेत दे रही है. इसके बाद शंकराचार्य इसके विरोध में उतर आए हैं. उन्होंने इस उत्सव पर प्रतिबंध लगाने की राज्य सरकार से मांग की है.
द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद स्वरस्वती ने साईं बाबा के नाम पर रचे जा रहे ग्रंथों को हिन्दू धर्म पर हमला बताया. उन्होंने साईं गीता और साईं पुराण की तर्ज पर साईं कुरान लिखने की चुनौती दे डाली. इस चुनौती से नया विवाद शुरू होने के संकेत मिल रहे है.