'जाको राखे साईंया मार सके ना कोय' यह कहावत उस समय चरित्रार्थ हो गई जब गुरुवार को ठाणे में सात मंजिला इमारत के ढहने के 29 घंटे बाद भी दस माह की एक बच्ची को मलबे से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन सबसे दुखद बात यह रही कि बच्ची के परिवार का कोई सदस्य नहीं बचा है. चूंकि कोई उसका नाम नहीं जानता, इसलिए छत्रपति शिवाजी स्मारक अस्पताल के कर्मचारियों ने उसका नाम ‘गुड़िया’ रखा है, जहां उसका उपचार चल रहा है.
मुंबई के नजदीक शील फटा के मुंब्रा में स्थित इस अवैध भवन के गुरुवार की शाम को ढह जाने से इसमें 22 महिलाओं और 17 बच्चों सहित 73 लोगों की जान जा चुकी है.
अस्पताल के एक कर्मचारी एम. वाघेला ने कहा कि हमने उसका नाम गुड़िया रखा है क्योंकि हम उसका नाम नहीं जानते. वह गुड़िया की तरह दिखती है. वाघेला ने कहा कि उसने दूध पिया और अब काफी अच्छा दिख रही है. वह भगवान की कृपा से बच गई और हम चाहते हैं कि उसके परिवार के लोग आएं और उसे ले जाएं.
वाघेला ने कहा कि गुड़िया के पड़ोसियों ने अस्पताल के अधिकारियों से कहा है कि नवजात की मां और चाची इमारत में रहती थी लेकिन उसे ले जाने के लिए अभी तक कोई नहीं आया है.
मलबे से 65 वर्षीय कुतिबी शेख को भी करीब 30 घंटे बाद निकाला गया. चिकित्सकों ने कहा कि उन्हें सीएसएम अस्पताल में शुक्रवार देर रात भर्ती कराया गया और वह सदमे में है लेकिन उनकी हालत स्थिर है.