बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगााद बेंच ने एक ट्रांसजेंडर को महिला कैटेगरी में ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है. इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि ऐसे लोगों को लिंग पहचान का अधिकार है. यानी कि ये ट्रांसजेंडर अपना लिंग खुद निर्धारित कर सकते हैं.
यह याचिका अंजलि गुरु और संजना जान नाम के ट्रांसजेंडर ने दायर की थी. इस याचिका में रिटर्निंग अधिकारी के 31 दिसंबर 2020 के फैसले को चुनौती दी गयी थी. रिटर्निंग अधिकारी ने जलगांव जिले में ग्राम पंचायत चुनाव के लिए ट्रांसजेंडर का नामांकन रद्द कर दिया था.
नामांकन पत्र में याचिकाकर्ता ने लिंग में स्त्री श्रेणी का चुनाव किया था और सामान्य श्रेणी के महिलाओं के लिये आरक्षित वार्ड से चुनाव लड़ने के लिये पर्चा दाखिल की थी. हालांकि, नामाकंन पत्र को ये कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि उम्मीदवार ट्रांसजेंडर था और मौजूदा ग्राम पंचायत चुनाव के फॉर्म में ट्रांसजेंडर की कैटेगरी नहीं है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ए पी भंडारी ने अदालत को कहा कि उनके मुवक्किल ने सभी उद्देश्यों के लिये हमेशा महिला श्रेणी का चयन किया है और भविष्य में कभी भी पुरूष श्रेणी में नहीं जाएगी.
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, "मौजूदा मामले में याचिकाकर्ता ने अपने लिंग की पहचान के लिये स्त्रीलिंग का चयन किया है और इसी श्रेणी में आजीवन बने रहने के लिये बयान भी दिया है. वह अवसरवादिता से प्रेरित होकर पुरुष लिंग की श्रेणी में नहीं जायेगी और भविष्य में भी स्त्री लिंग का चयन करना जारी रखेगी.
अदालत ने 11 पन्नों के आदेश में रिटर्निंग अधिकारी के पर्चा खारिज करने का फैसला रद्द कर दिया और नामांकन पत्र स्वीकार कर लिया. इसके अलावा याचिकाकर्ता को उस वार्ड एवं श्रेणी से चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी जिसका उसने नामांकन पत्र में चयन किया था.