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बैकफुट पर उद्धव...एक के बाद एक मात दे रहे एकनाथ शिंदे लेकिन असल इम्तिहान अभी बाकी

Maharashtra political crisis: महाराष्ट्र की सत्ता से उद्धव ठाकरे का तख्तापलट करने वाले एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनते ही पूरे जोश में दिख रहे हैं. शिंदे खेमे ने स्पीकर के चुनाव में जिस तरह से उद्धव गुट को मात दी है, उस लिहाज से सोमवार को बहुमत साबित करने की परीक्षा भी पास कर लेंगे. लेकिन असल लड़ाई अब शिवसेना पर काबिज होने को लेकर है, जो अदावत की दहलीज तक पहुंच सकती है?

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उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे
उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे
स्टोरी हाइलाइट्स
  • उद्धव ठाकरे खेमे को शिंदे ने दी सियासी मात
  • बीजेपी के राहुल नार्वेकर बने विधानसभा अध्यक्ष
  • उद्धव-शिंदे में अब शिवसेना पर काबिज होने की लड़ाई

महाराष्ट्र में शिवसेना में चल रहे शह-मात के खेल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एक के बाद एक उद्धव ठाकरे को शिकस्त दे रहे हैं. उद्धव सरकार का पहले तख्ता-पलट और उसके बाद स्पीकर चुनाव में बीजेपी-शिंदे खेमे ने महा विकास अघाड़ी को मात देकर पहली परीक्षा तो पास कर ली है, लेकिन असल इम्तिहान तो अब होना है. एकनाथ शिंदे को विधानसभा में बहुमत हासिल करने की परीक्षा आज पास करनी है और उसके बाद शिवसेना पर काबिज होने के लिए उद्धव ठाकरे से दो-दो हाथ करने होंगे?  

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स्पीकर के चुनाव में MVA को मात

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद विधानसभा में बीजेपी विधायक राहुल नार्वेकर को स्पीकर चुना गया है जबकि उद्धव खेमे से उतरे शिवसेना विधायक राजन साल्वी को सियासी मात मिली है. विधानसभा में नार्वेकर को 164 वोट मिले तो साल्वी को 107 मिले हैं. स्पीकर के लिए डाले गए वोटों के विस्तृत विश्लेषण से पता चलता है कि विपक्ष के पास बीजेपी-शिंदे गठबंधन के खिलाफ कोई मौका नहीं था. मतलब साफ है कि शिवसेना के सभी 39 बागी विधायक अयोग्य घोषित कर दिए जाते तो भी विपक्ष को हार का सामना ही करना पड़ता. 

एक साल से स्पीकर का पद खाली था

कांग्रेस नेता नाना पटोले ने फरवरी 2021 में इस्तीफा दिया था, जिसके चलते महाराष्ट्र में एक साल से विधानसभा स्पीकर का पद खाली था. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी न तो स्पीकर के चुनाव के लिए तारीख तय कर रहे थे और न ही वोटिंग सिस्टम या वॉइस वोट के पक्ष में थे. इसी के चलते उद्धव ठाकरे सरकार और राज्यपाल कोश्यारी के बीच में तनातनी चलती रही. लेकिन अब दो-तीन दिन में ऐसा क्या हो गया कि राज्यपाल कोश्यारी ने स्पीकर के चुनाव को राजी हो गए. 

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दरअसल, उद्धव ठाकरे सरकार संकट में आई तो स्थिति बदल गई. सरकारों के संकट में होने पर राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका सबसे बड़ी हो ही जाती है. एकनाथ शिंदे की सरकार बनने के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव की तारीख भी तय हो गई. ओपन वोटिंग सिस्टम यानी ध्वनि मत से चुनाव भी हो गए. कोश्यारी की इन्हीं दो आपत्ति की वजह से महाराष्ट्र में स्पीकर का चुनाव टल रहा था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के साथ ही स्पीकर के चुनाव में आपत्तियां नहीं उठाई गईं और राहुल नार्वेकर विधानसभा अध्यक्ष बन गए.

बहुमत की परीक्षा भी शिंदे पास कर लेंगे?

बीजेपी-शिंदे गठबंधन खेमे ने स्पीकर के चुनाव में जिस तरह से महा विकास अघाड़ी को मात दी है, उससे उद्धव ठाकरे खेमे के लिए सियासी चुनौती बढ़ गई है. महा विकास अघाड़ी के पास सदन में बहुमत के इम्तिहान में बीजेपी-शिंदे गुट को हराने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है. सोमावर को विधानसभा सदन में फ्लोर टेस्ट होना है, जहां बीजेपी-शिंदे गठबंधन खेमे को बहुमत साबित करना है. सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने 39 विधायकों के साथ बैठक की तो उधर उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी महत्वपूर्ण बैठक की है. फ्लोर टेस्ट को लेकर प्रदेश का हर प्रमुख राजनीतिक धड़ा अपने स्तर पर रणनीति तय करने में जुटा है.

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महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं, लेकिन पिछले महीने शिवसेना विधायक रमेश लटके के निधन के कारण एक पद रिक्त है. इस तरह से बहुमत के लिए 144 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. स्पीकर पद के लिए चुनाव में जिस तरह से बीजेपी-शिंदे गुट को 164 वोट मिले हैं, उससे लगता है कि फ्लोर टेस्ट में भी उद्धव खेमे को सियासी मात खानी पड़ सकती है. 

शिवसेना पर काबिज होने की जंग

स्पीकर पद पर काबिज होने के साथ ही अब शिवसेना पर कब्जा जमाने की दिशा में एकनाथ शिंदे ने अपने कदम बढ़ा दिए हैं. विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना विधायक दल के नेता के लिए एकनाथ शिंदे को मान्यता दे दी है और उद्धव ठाकरे खेमे के अजय चौधरी को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया है. शिवसेना मुख्य सचेतक के लिए शिंदे खेमे के भरत गोगावाले को नियुक्त किया है तो उद्धव खेमे के सुनील प्रभु की नियुक्ति को रद्द कर दिया है. स्पीकर ने एक तरह से शिंदे गुट को शिवसेना के तौर पर मान्यता दे दी है, जिसके चलते अब लड़ाई अदालत तक पहुंच सकती है. 

अब व्हिप को लेकर छिड़ा विवाद

महाराष्ट्र में स्पीकर के चुनाव को लेकर शिवसेना की ओर से व्हिप जारी किया गया था. ऐसे में पार्टी के दोनों गुटों शिंदे गुट और ठाकरे गुट ने अपने विधायकों को लेकर व्हिप जारी किया था. अब व्हिप जारी करने को लेकर विवाद हो गया है और यह विवाद चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है. शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि अध्यक्ष चुनने को लेकर 39 विधायकों ने हमारे व्हिप का पालन नहीं किया है. शिंदे गुट के पास 39 विधायकों की ताकत है. उद्धव ठाकरे के साथ उनके बेटे आदित्य समेत 16 विधायक हैं. 

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शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े ने भी शिंदे समेत उनके साथ गए सभी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है तो दूसरी तरफ शिंदे खेमे ने उद्धव खेमे के 16 विधायकों की सदस्यता खत्म करने के लिए स्पीकर को नोटिस दी है और कहा है कि व्हिप का पालन नहीं किया. स्पीकर ने जिस तरह से शिवसेना के मुख्य सचेतक के पद से शिंदे खेमे को मान्यता दी है, उसके चलते सोमवार के विश्वास मत के लिए गोगावाले द्वारा जारी किए जाने वाले व्हिप से बंधे होंगे. अगर ये 16 विधायक व्हिप का पालन करने से इनकार करते हैं, तो उन्हें अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है. 
 

 

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