शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग द्वारा हाल ही में दिए गए पार्टी के नए चुनाव चिन्ह और नाम को लेकर आपत्ति जताई है. इसको लेकर उद्धव गुट के वकील ने भारत के चुनाव आयोग को 'पूर्वाग्रह की आशंकाओं' को संज्ञान में लाने के लिए पत्र लिखा है. चिट्ठी में आयोग से आश्वासन मांगा गया है कि एकनाथ शिंदे गुट के पक्ष में ऐसा पक्षपातपूर्ण व्यवहार जारी नहीं रहेगा और दोनों समूहों से समान स्तर पर निपटा जाएगा.
उद्धव गुट के वकील विवेक सिंह ने अपने पत्र में कहा कि आयोग ने हाल ही जो प्रक्रियाएं अपनाई उन्होंने शिंदे गुट को अनुचित रूप से बढ़ावा दिया. एडवोकेट विवेक सिंह के लेटर हेड पर चुनाव आयोग को यह 4 पन्नों का पत्र भेजा गया है.
चुनाव आयोग ने हाल ही में शिवसेना पार्टी के चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर दिया था और जलती मशाल के प्रतीक दिया गया था. इसके साथ ही ठाकरे के गुट को 'शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे' के रूप में मान्यता दी थी. दूसरी ओर शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को चुनाव चिन्ह के रूप में 'दो तलवारें और एक ढाल' दी गई थी और 'बालासाहेबंची शिवसेना' नाम दिया गया था.
आयोग ने महाराष्ट्र में आगामी उपचुनाव लड़ने के लिए दोनों गुटों को नया नाम और चुनाव चिन्ह दिया है. पत्र में कहा गया है कि यह केवल आयोग के लिए एक संचार था. कम से कम जब तक आयोग द्वारा प्रस्तावित प्रतीकों की सूची से प्रतीक का अंतिम आवंटन नहीं किया गया था.
पत्र में कहा गया है कि आयोग ने ठाकरे टीम द्वारा भेजे गए पत्र को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया, जिससे यह शिंदे खेमे समेत सभी के लिए सुलभ हो गया. यह बहुत ही आश्यर्य और निराशा की बात है. इसके अलावा आयोग ने चुनाव चिन्ह के मामले में निर्णय लेने से पहले और शायद शिंदे खेमे द्वारा प्रस्ताविक प्रतीकों और नामों की अपनी सूची पेश करने से पहले ही किया गया. इस प्रकार शिंदे खेमे को स्पष्ट रूप से अनुचित लाभ दिया गया.
पत्र में कहा गया है कि ठाकरे खेमा हैरान था कि आयोग ने उसके बाद इस पत्र को अपनी वेबसाइट से हटा दिया. लेकिन एकनाथ शिंदे खेमे का कोई भी पत्र जिसमें उनके नाम के चुनाव चिन्ह बताए गए थे उन्हें कभी भी वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया था.