महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर सियासी गलियों में जद्दोजहद जारी है. इस बीच, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 24 नवंबर को अयोध्या जाने का अपना कार्यक्रम टाल दिया है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि नई तारीख की जल्द ही घोषणा की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया था, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने घोषणा की थी कि वो 24 नवंबर को 'भगवान श्रीराम की नगरी' अयोध्या जाएंगे.
यात्रा में विलंब होने का कारण महाराष्ट्र में सरकार बनने में हो रही देरी को बताया जा रहा है. शिवसेना के कार्यकर्ता अपने नेता का गर्मजोशी से स्वागत करने की व्यवस्था कर रहे थे. इस साल जून में उद्धव और उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने अयोध्या का दौरा किया था और रामलला विराजमान में प्रार्थना की थी. इसके अलावा पिछले साल भी उद्धव ने अयोध्या की यात्रा की थी.
सरकार गठन में व्यस्त उद्धव!
बहरहाल, समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शिवसेना के एक नेता ने बताया, 'महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया में समय लग रहा है. तीनों दलों (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) लगातार बैठकें कर रहे हैं. सरकार गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है. इन सब राजनीतिक गतिविधियों की वजह से उद्धव जी ने फिलहाल अयोध्या दौरा को स्थगित करने का फैसला किया है.' शिवसेना नेता ने बताया, उद्धव ठाकरे के इस फैसले के पीछे 'सुरक्षा' भी एक बड़ी वजह है. सुरक्षा एजेंसियां पहले ही अयोध्या जाने की योजना बना रहे राजनेताओं को इजाजत देने से मना कर चुकी हैं.
उद्धव का फैसला क्यों है अहम
उद्धव ठाकरे ने अयोध्या जाने का कार्यक्रम ऐसे समय स्थगित किया है जब महाराष्ट्र में शिवसेना कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने के लिए बातचीत कर रही है. चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी सरकार गठन को लेकर पहले से ही शिवसेना के साथ न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) पर काम कर रहे हैं. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि गठबंधन के लिए हां कहने से पहले, पार्टी चाहती है कि शिवसेना अपने कट्टर हिंदुत्व विचारधारा को छोड़े और कई मुद्दों पर धर्मनिरपेक्ष रुख अपनाए.
बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार की बहुप्रतीक्षित मुलाकात सोमवार शाम को हुई लेकिन इसमें सरकार बनाने को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकला.