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महाराष्ट्र की राजनीति में जब से उद्धव ठाकरे के हाथ से सत्ता फिसली है और एकनाथ शिंदे ने सीएम कुर्सी संभाली है, कई मौकों पर विचारधारा को लेकर टकराव देखने को मिला है. एकनाथ शिंदे द्वारा लगातार दावा किया गया है कि उद्धव ठाकरे और उनका गुट हिंदुत्व और बाला साहेब की विचारधारा से भटक गया है. वहीं बीजेपी भी उद्धव पर हिंदुत्व वाली राजनीति को लेकर हमला करती रहती है. अब इन्हीं हमलों में एक और सियासी वार शामिल हो गया है.
गणेश उत्सव की धूम महाराष्ट्र में देखने को मिल रही है. कोरोना का खतरा कम हुआ है, इस वजह से दो साल बाद फिर बड़े स्तर पर लोग ये त्योहार मना रहे हैं. लेकिन बीजेपी ने यहां पर एक बड़ा राजनीतिक दांव चल दिया है. गणेश उत्सव के मौके पर महाराष्ट्र की सड़कों पर कुछ पोस्टर लगाए गए हैं. उन पोस्टर पर लिखा है- हमारी सरकार आई ,हिंदू त्योहारों से बला टली. अब बीजेपी इन पोस्टर के जरिए लोगों को याद दिला रही है कि उद्धव ठाकरे के सीएम रहते हुए महाराष्ट्र में 'हिंदुओं का त्योहार' ठीक तरीके से नहीं मन पा रहा था. लगातार पाबंदियां लगाई जा रही थीं, रोका जा रहा था.
वैसे जो पोस्टर पंडालों के बाहर बीजेपी ने लगाए हैं, उनमें एक और बात ध्यान देने लायक है. पोस्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जगह दी गई है, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस भी दिखाई दे रहे हैं, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गायब हैं. इस तरह के पोस्टर्स में ज्यादातर सीएम का चेहरा जरूर आगे किया जाता है. लेकिन बीजेपी ने ऐसा कुछ नहीं किया है, सिर्फ उद्धव पर निशाना रखा है, हिंदुत्व वाली अपनी विचारधारा को और मजबूत किया है और महाराष्ट्र की जनता को एक सियासी संदेश देने का काम हुआ है.
अब उद्धव ठाकरे के लिए इस समय बीजेपी के ये हमले ही चुनौती नहीं बने हुए हैं, बल्कि विचारधारा से ज्यादा शिवसेना को बचाना उनके लिए चिंता का सबब बन रहा है. एकनाथ शिंदे लगातार दावा कर रहे हैं कि वे असल शिवसेना हैं, ज्यादा विधायक और सांसदों का समर्थन है, ऐसे में वे अपनी दावेदारी ज्यादा मजबूत मानते हैं. दूसरी तरफ खड़े हैं उद्धव ठाकरे जो पार्टी के अभी भी अध्यक्ष हैं और इसी वजह से अपनी पकड़ कमजोर होती नहीं देखना चाहते. वैसे इन पोस्टर वॉर के अलावा उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे एक और मुद्दे पर एक दूसरे से टकरा रहे हैं.
दशहरा पर शिवाजी पार्क में शिवसेना की हर साल बड़ी रैली होती है. देशभर से शिवसैनिक उस रैली में शिरकत करते हैं, फिर जो संदेश वहां से मिलता है, उसका प्रसार जगह-जगह किया जाता है. इस बार विवाद ये है कि एकनाथ शिंदे भी शिवाजी पार्क में रैली करना चाहते हैं और उद्धव ठाकरे भी ऐसा ही दावा कर रहे हैं. इस समय दोनों ही शिवसेना पर अपना दावा ठोक रहे हैं और इसी वजह से दशहरा पर शिवाजी पार्क में रैली करना चाहते हैं. अब जिसे भी ये मौका मिलेगा, उसकी शिवसेना पर दावेदारी और ज्यादा मजबूत हो जाएगी.