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'कटुता खत्म कर दो फडणवीस', सामना के जरिए ठाकरे गुट वाली शिवसेना ने कहा

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है. दरअसल, हाल ही में फ़डणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसी कटुता आ गई है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. इस पर सामना में लिखा गया है कि फडणवीस कटुता खत्म करने का बीड़ा उठाएं.

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उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)
उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस (फाइल फोटो)

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है. सामना के जरिए उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ने कहा कि फडणवीस में नए सत्ता परिवर्तन के बाद परिपक्वता आ गई है, ऐसा प्रतीत होने लगा है. दिवाली के उपलक्ष्य में फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इसमें फडणवीस ने महत्वपूर्ण मुद्दा रखा था. उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसी कटुता आ गई है, जिसे नकारा नहीं जा सकता. 

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'सामना में कहा गया है कि फडणवीस के मन में आ गया है तो कटुता खत्म करने का बीड़ा उठा ही लीजिए. महाराष्ट्र की राजनीति में न केवल कटुता, बल्कि बदले की राजनीति का विषैला प्रवाह उमड़ रहा है और इस प्रवाह का मूल भाजपा की हालिया राजनीति है. फडणवीस को अब पछतावा होने लगा है, तो विष का अमृत बनाने का काम भी उन्हें ही करना होगा.

'राजनीति की कटुता अब वैमनस्य तक पहुंची'


'सामना' में कहा गया है कि फडणवीस कहते हैं कि महाराष्ट्र में राजनीति की कटुता अब राजनीतिक वैमनस्य तक पहुंच गई है. महाराष्ट्र की ऐसी राजनीतिक संस्कृति नहीं है. राजनीतिक मतभेद हों, फिर भी सभी पार्टियों के नेता एक-दूसरे से बोल सकते हैं. लिहाजा यह कटुता कम की जा सकती है, इसके लिए मैं प्रयास करूंगा. लेकिन महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति में कटुता आ गई है. 

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'मतभेद का मतलब देशविरोधी विचार नहीं'

मुखपत्र के जरिए सवाल पूछा गया है कि लोकतंत्र के लक्षण क्या हैं? सत्ताधारी पार्टी कोई भी हो, उसे विपक्षी पार्टी को एकीकृत देश का शत्रु नहीं मानना चाहिए. लोकतंत्र में मतभेद का महत्व होता है, इसलिए मतभेद का मतलब देशविरोधी विचार नहीं है. लिहाजा सत्ताधारी और विपक्ष को एक-दूसरे की ईमानदारी पर विश्वास करके काम करना चाहिए. 

ढाई वर्ष में तीन सत्ता परिवर्तन हुए


ठाकरे नीत शिवसेना ने सामना में कहा है कि महाराष्ट्र में पिछले ढाई वर्ष में तीन सत्ता परिवर्तन हुए. इनमें से दो सत्ता परिवर्तन सीधे फडणवीस के नेतृत्व में हुए हैं. अजीत पवार की मदद से फडणवीस और उनकी पार्टी ने सत्ता परिवर्तन करने का प्रयास किया, जो फंस गया. यह प्रयोग सफल हुआ होता तो वह जनमत या जनता अथवा ईश्वर की इच्छा साबित हुआ होता. लेकिन वहां महाविकास अघाड़ी का प्रयोग सफल होते ही इसे असंवैधानिक सरकार बताया गया. 

कैसे कम होगी कटुता?


यह दोहरापन ठीक नहीं है. महाराष्ट्र की राजनीति में कटुता न रहे और राज्य के कल्याण के लिए सभी को एक साथ बैठना चाहिए, यही राज्य की परंपरा है. समन्वय की राजनीति ही महाराष्ट्र की परंपरा है. यशवंतराव चव्हाण, शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे, शरद पवार जैसे नेताओं ने समन्वय की राजनीति की, उसे तोड़ा किसने? राजनीति में व्यक्तिगत कीचड़ उछालते हुए किसी भी मर्यादा का पालन नहीं किया जा रहा है. शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे के लिए जिस भाषा का उपयोग किया जा रहा है उससे राज्य की राजनीति में कटुता कैसे कम होगी? 

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सामना के जरिए पूछे सवाल


'सामना' में लिखा है कि केंद्रीय सत्ता का दुरुपयोग करके सरकार गिराई, शिवसेना तोड़ी. शिवसेना का धनुष-बाण चिह्न फ्रीज हो इसके लिए परदे के पीछे से राजनीतिक चाल चली. यह सब महाराष्ट्र और देश ने देखा. शिवसेना न रहे और शिवसेना से जो जहर बाहर निकला है, उस विष को 'बासुंदी' का दर्जा देने का जो हाल में प्रयास जारी है, उससे कटुता की धार कैसे कम होगी? 

दशहरा सम्मेलन का विरोध किया गया


मुंबई महानगरपालिका से शिवसेना को खत्म करने का विचार महाराष्ट्र हित में नहीं है. शिवसेना के दशहरा सम्मेलन का विरोध किया गया. फडणवीस द्वारा ऐसी भूमिका निभाना महाराष्ट्र की परंपरा के लिए शोभनीय नहीं था. असली शिवसेना कौन? यह फडणवीस को अच्छी तरह से पता है और उन्होंने गले में जो 'असली शिवसेना' का पत्थर बांध लिया है, वह महाराष्ट्र को ले डूबेगा. 

...तो नहीं पैदा होती कटुता


शिवसेना से वादा करके ढाई वर्ष के मुख्यमंत्री पद को नकार दिया, यहीं से कटुता की चिंगारी भड़की. टूटे गुट को मुख्यमंत्री पद देकर 'हमने मुख्यमंत्री पद के वादे का पालन किया, क्या यह ठीक है? इस तरह करताल बजाने की वजह क्या है? यही मुख्यमंत्री पद पहले दे दिया होता, तो राज्य में कटुता निर्माण नहीं हुई होती और फडणवीस को भी पछतावा करने का सवाल ही नहीं होता.

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एकता की परंपरा कायम रहे


सामना में कहा गया है कि फडणवीस 'सागर' बंगले में खुश हैं. पिछली बार भाजपा ने वादे का पालन किया होता तो वही आज 'वर्षा' में होते और हम एक रिश्ते के नाते उनके यहां फराल के लिए जाते. कल क्या होगा, ऐसा किंतु-परंतु राजनीति में नहीं चलता. लेकिन महाराष्ट्र की एकता की परंपरा कायम रहे. नेपोलियन, सिकंदर भी हमेशा के लिए नहीं टिके. तो हम कौन? 

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