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उद्धव और पवार की मुलाकात पर क्यों मचा बवाल, आडवाणी से लेकर ये नेता जा चुके हैं मातोश्री

शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को दक्षिण मुंबई के सिल्वर ओक में एनसीपी चीफ शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की थी. इस दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत भी मौजूद रहे थे. इस मुलाकात हो लेकर चर्चा तेज हो गई है क्योंकि अभी तक दोनों के बीच होने वाली बैठकें मातोश्री में ही हुआ करती थी.

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मातोश्री के बाहर उद्धव और पवार की मुलाकात से गरमाई सियासत (फाइल फोटो)
मातोश्री के बाहर उद्धव और पवार की मुलाकात से गरमाई सियासत (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार के घर 'मातोश्री' को हमेशा से सत्ता का पावर सेंटर माना जाता रहा है. प्रदेश की सियासत का रोडमैप पिछले चार दशक से भी ज्यादा समय से यहीं तैयार रहा था लेकिन पिछले एक साल से हालात बदल गए. सत्ता शिंदे-बीजेपी के हाथ में चली गई. पावर का सेंटर भी बदलने लगा. दरअसल मंगलवार को एनसीपी चीफ शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच मुलाकात हुई. यह मुलाकात राजनीतिक रूप से बेशक बेहद अहम है लेकिन उससे भी ज्यादा अहम है 'रिवाज बदलना'. मसलन अभी तक दिग्गज से दिग्गज नेता मुलाकात के लिए उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री आया करते थे लेकिन इस बार खुद उद्धव मातोश्री से निकलकर किसी और के घर मुलाकात करने गए. इसलिए पवार-उद्धव की मुलाकात से ज्यादा इस बदलाव को लेकर चर्चा हो रही है.

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वैसे, ऐसी ही सुगबुगाहट आज से पांच साल पहले 11 नवंबर 2019 को भी हुई थी. उस समय भी दोनों नेताओं की मुलाकात मातोश्री से बाहर हुई थी. इसके बाद कांग्रेस नेता अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मातोश्री में मुलाकात नहीं हुई थी. आइए जानते हैं कि मातोश्री के बाहर किसी नेता के साथ उद्धव की बैठक क्यों चर्चा का विषय बन जाती है.

1980 से ही राजनीतिक हलचल का रहा केंद्र 

मातोश्री एक तीन मंजिला इमारत है. बांद्रा के कलानगर में इसका निर्माण शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने करवाया था. 1980 में बाला साहेब ठाकरे अपने परिवार के साथ मातोश्री में रहने आए थे. पहली बार शिवसेना बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हुई थी. इसके बाद दिग्गज नेताओं की यहां लगातार बैठकी होने से मातोश्री की सत्ता के सिंबल के तौर पर पहचान बननी शुरू हो गई.

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बाल ठाकरे के समय लेकर उद्धव के सीएम रहने और इसके बाद भी कुछ महीने तक मातोश्री दिग्गज नेताओं को मीटिंग का पॉइंट बना रहा था. महाविकास अघाड़ी के नेताओं की कई अहम बैठकें यहीं होती थीं. अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, नरेंद्र मोदी, अमित शाह, प्रणब मुखर्जी, शरद पवार, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, प्रमोद महाजन, विलासराव देशमुख, गोपीनाथ मुंडे, सुब्रह्मण्यम स्वामी और नितिन गडकरी जैसे कई दिग्गज मातोश्री का रुख कर चुके हैं.

इन वाकयों से समझें मातोश्री की पावर

- अटल बिहारी वाजपेयी: बीजेपी ने पहली बार अपना राज्य स्तरीय गठबंधन शिवसेना के साथ ही किया था. ऐसा माना जाता है कि इस गठबंधन के सूत्रधार प्रमोद महाजन थे. अटल बिहारी वाजपेयी बाल ठाकरे का बहुत सम्मान करते थे इसलिए सरकार चलाने के दौरान अगर को समस्या आती थी तो अटलजी महाजन को बाल ठाकरे से सलाह-मश्विरा के लिए मातोश्री भेजा करते थे.

- लाल कृष्ण आडवाणी: यह अप्रैल 2009 की बात है. मुंबई के शिवाजी पार्क में रैली के दौरान बाला साहेब के भाषण का वीडियो टेप चलाया गया.  इस भाषण में उन्होंने बीजेपी और आडवाणी का एक बार भी जिक्र नहीं किया. आडवाणी बाला साहेब की नाराजगी को तुरंत समझ गए और भाषण के तुरंत बाद मातोश्री पहुंच गए थे.

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- मुरली मनोहर जोशी: बाल ठाकरे से मुरली मनोहर जोशी के जितने अच्छे संबंध थे, उतनी ही अच्छी बॉन्डिंग उनकी उद्धव के साथ भी थी. इसीलिए जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना की तकरार बढ़ी तो ठाकरे ने अकेले लोकसभा और विधानसभा चुनाव का ऐलान कर दिया थी. लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी शिवसेना ने साफ कर दिया था कि वह अब बीजेपी के साथ नहीं रहेगी, तब बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी को उन्हें मनाने मातोश्री भेजा था. 

- प्रणब मुखर्जी: 13 जुलाई 2012 को प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति चुनाव में अपने लिए समर्थन मांगने शिवसेना सुप्रीमो बाला साहेब से मिलने मातोश्री पहुंच गए थे. उन्हें लगता था कि बाला साहेब बिना कहे उन्हें समर्थन नहीं देंगे, लेकिन जब वह मातोश्री पहुंचे तो बाल ठाकरे ने बिना कहे ही समर्थन देने का एलान कर दिया था. एनसीपी नेता शरद पवार ने उन्हें बाल ठाकरे से मिलने की सलाह दी थी. ठाकरे उस समय बीजेपी के गठबंधन वाले एनडीए का हिस्सा थे, इसलिए सोनिया गांधी इस मुलाकात से नाराज हो गई थीं. प्रणब दा ने अपनी किताब 'The Coalition Years 1996 to 2012' में इस बात का खुलासा किया है.

- अमित शाह: लोकसभा चुनाव के लिए तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जून 2018 में देशभर में 'संपर्क फॉर समर्थन' अभियान चला रहे थे. इस दौरान वह देश के नामी लोगों से मुलाकात कर रहे थे. तभी वह उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंच गए थे. अमित शाह की इस मुलाकात का मकसद शिवसेना की नाराजगी दूर करना था. तब उद्धव ने उनसे अकेले मिलने की इच्छा जताई थी. शाह के साथ मातोश्री पहुंचने के बाद भी देवेंद्र फडणवीस उस बैठक में शामिल नहीं हुए थे. उन्हें करीब एक घंटे 40 मिनट तक अकेले इंतजार करना पड़ा था.

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- सुब्रमण्यम स्वामी: नवंबर 2014 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उद्धव ठाकरे से मातोश्री जाकर मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद स्वामी ने मीडिया से कहा था,' मैं दिल्ली लौटने के बाद नरेंद्र मोदी, अमित शाह और नितिन गडकरी से मुलाकात करूंगा. उन्हें समझाऊंगा कि अगर हम शिवसेना को साथ लेते हैं, तो यह महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार रहेगी... बीजेपी को शिवसेना को साथ लेना होगा.' 

- शरद पवार: बाला ठाकरे के समय की बात हो या उद्धव के राजनीतिक संकट की, एनसीपी चीफ शरद पवार अकसर मातोश्री जाया करते थे. पिछले साल जब महाराष्ट्र में जब उद्धव ठाकरे की सरकार गिर रही थी, तब शरद पवार ने अपनी बैठक मातोश्री में ही की थीं.

 

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