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क्या एकनाथ शिंदे के आगे हथियार डालने को तैयार हैं उद्धव ठाकरे? बातों-बातों में दे दिए ऑफर!

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे क्या बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के सामने हथियार डालने को तैयार हैं? ये चर्चा उद्धव ठाकरे के एक बयान के बाद तेज हो गई है. उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यदि आपको लगता है कि मैं उपयोगी नहीं हूं और पार्टी चलाने में सक्षम नहीं हूं तो मुझसे कहिए. पार्टी से खुद को अलग करने के लिए तैयार हूं.

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एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सीएम उद्धव ठाकरे ने फिर खेला इमोशनल कार्ड
  • कहा- मुझमें क्षमता नहीं पार्टी छोड़ने को तैयार

महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के बीच शह-मात का खेल जारी है. दोनों ही तरफ से मोहरे चले जा रहे हैं. एक-दूसरे की चाल का आकलन कर एक-दूसरे को मात देने की रस्साकशी जारी है. एकनाथ शिंदे गुट की ओर से पार्टी के करीब 50 विधायकों के समर्थन का दावा किया गया तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बैकफुट पर आ गए. उद्धव ठाकरे ने भी अब नया दांव चल दिया है.

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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यदि आपको लगता है कि मैं उपयोगी नहीं हूं और पार्टी चलाने में सक्षम नहीं हूं तो मुझसे कहिए. मैं पार्टी से खुद को अलग करने के लिए तैयार हूं. उद्धव ठाकरे ने फिर से इमोशनल कार्ड खेला और कहा कि आपने मेरा सम्मान किया क्योंकि बालासाहेब ने कहा था. यदि आप कह दें कि मुझमें क्षमता नहीं है तो मैं इसी समय पार्टी छोड़ दूंगा. 

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस बयान के बाद ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या उद्धव ठाकरे बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे के सामने हथियार डालने को तैयार हैं? उद्धव ठाकरे के इस बयान को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई है. कोई इसे उद्धव ठाकरे का एकनाथ शिंदे के सामने सरेंडर और बातों ही बातों में दिया गया खुला ऑफर बता रहा है तो कोई बालासाहेब की राह चल पार्टी की एकजुटता बचाए रखने की कोशिश.

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शिवसेना पर आएगी सत्ता से शुरू हुई जंग?

उद्धव ठाकरे के इस बयान को शिवसेना के बागी विधायकों के लिए एक तरह से खुला ऑफर माना जा रहा है. ऐसा इसलिए, क्योंकि सत्ता को लेकर शुरू हुआ संघर्ष अब शिवसेना पर कंट्रोल तक पहुंच गई है. एकनाथ शिंदे गुट ने बागी विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र राज्यपाल और विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को भेजकर अपने गुट को असली शिवसेना घोषित करने का दावा भी कर दिया है.

एकनाथ शिंदे गुट की ओर से ये दावा किए जाने के बाद इस तरह के कयास लगाए जाने लगे कि अब अगला नंबर शिवसेना के झंडे और चुनाव निशान का है. शिंदे गुट पर न तो शिवसेना की ओर से कार्रवाई का भय दिख रहा है और ना ही इमोशनल कार्ड का कोई असर. विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने के लिए शिवसेना ने डिप्टी स्पीकर को पत्र भी लिख दिया लेकिन शिंदे गुट ने भी साफ कर दिया है कि वे शिवसेना नहीं छोड़ेंगे.

बागी विधायकों के साथ गुवाहाटी में डेरा डाले एकनाथ शिंदे शिवसेना में रहते हुए एक के बाद एक चाल चले जा रहे हैं और उद्धव खेमे की हर चाल फेल होती दिख रही है. शिवसेना में बगावतें पहले भी हुई हैं, लेकिन ऐसे हालात कभी नहीं बने. छगन भुजबल ने 18 विधायकों के साथ बगावत की तो स्पीकर को पत्र लिखकर अलग गुट के रूप में मान्यता देने की मांग कर दी लेकिन यहां तो शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बता रहा है.

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उद्धव ठाकरे ने क्यों दिया पार्टी छोड़ने का ऑफर

कहा जा रहा है कि विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और राज्यपाल को पत्र लिखकर खुद को असली शिवसेना घोषित करने की मांग के बाद शिंदे गुट पार्टी के झंडे और चुनाव निशान के लिए चुनाव आयोग भी जा सकता है. ऐसा हुआ तो गेंद आयोग के पाले में चली जाएगी. इस तरह की स्थिति में सांसद, विधायक, पार्टी की नीति निर्धारक इकाई में समर्थन की कसौटी पर दोनों गुटों को कसने के बाद आयोग किसी फैसले पर पहुंचेगा.

फिलहाल, विधायकों का संख्याबल एकनाथ शिंदे के साथ है. कुछ सांसदों के भी शिंदे गुट के साथ होने के कयास लगाए जा रहे हैं. संगठन में भी शिंदे की अच्छी पैठ है. इन सबके बीच उद्धव ठाकरे की ओर से पार्टी से खुद को अलग करने के लिए तैयार होने का बयान आया है. कुछ लोग इसे पार्टी को एकजुट रखने के लिए कोशिश तो कुछ लोग पार्टी से कंट्रोल फिसलता देख प्रतिष्ठा बचाने का प्रयास बता रहे हैं.

उद्धव ने चल दिया बालासाहेब का 'ब्रह्मास्त्र'

उद्धव ठाकरे के इस बयान को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने तरकश से अब बालासाहेब ठाकरे का ब्रह्मास्त्र चला दिया है. साल 1992 में पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए शिवसेना के कुछ नेताओं ने बगावती रुख अपना लिया था. बालासाहेब ने इसे लेकर पार्टी के मुखपत्र सामना में लेख लिखा था. बालासाहेब ने अपने लेख में ये कहा था कि एक भी शिवसैनिक आकर कह दे तो पार्टी छोड़ने को तैयार हूं.

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बालासाहेब के इस लेख का असर ये हुआ कि बड़ी तादाद में शिवसैनिक उनके पक्ष में लामबंद हो गए और पार्टी फिर से एकजुट हो गई थी. उद्धव ठाकरे ने पहले एक भी विधायक के कहने पर मुख्यमंत्री पद छोड़ देने की बात कही और अब पार्टी छोड़ने के लिए भी तैयार होने की. उद्धव की ओर से पार्टी की एकजुटता बचाए रखने के लिए इस बयान को मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है.

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